जो मचल जाते थे तुम मेरी आह पर
वो चाहते खो गयी,हैं मेरी चाह पर
कभी खुद के भीतर गए क्यूँ नहीं
देख पाती के अब भी अधूरे हो तुम
प्यार का सिर्फ तुमने वादा किया
थोड़ा भी वादा निभा पाती तुम
छल रहे खुद को,अकारण ही तुम
प्रेम मिलता नहीं है कही राह पर
जो मचल जाते थे........
जैसे साँसों की गिनती भी होती नहीं
कोई आयु भी निश्चित नहीं देह की
वेसे तुमने भी थोड़े समय के लिये
ली परीक्षा थी क्योंकर मेरे नेह की
प्यार दो दिन का कोई नहीं खेल है
डूबकरके जो पाती यदि थाह पर
जो मचल जाते थे..........
मुझे लग रहा है कि खुश तुम नहीं
तुम्हारी तड़प कह रहा ये आसमां
रिक्त अब दिल का भवन लग रहा
आँखों में भी हे खालीपन ख़ामख़ा
प्यार स्वीकार कर निभा पाती तुम
और मुझे घेर लेती यदि बाँह पर
जो मचल जाते थे.......
है प्यार पाना तो,खुशबु संजोकर जियो
महको खुद भी,और बाग़ महकाओ तुम
अगर सच में मुझसे हो ही गया प्यार तो
करो देख रेख,ये रिश्ता निभाओ भी तुम
कोर के आंसुओ से कहो न आये बस करें
अब तो रहता हे प्यार बस इस निगाह पर
जो मचल जाते थे......
@डॉ मोहन बैरागी
20/01/17
वो चाहते खो गयी,हैं मेरी चाह पर
कभी खुद के भीतर गए क्यूँ नहीं
देख पाती के अब भी अधूरे हो तुम
प्यार का सिर्फ तुमने वादा किया
थोड़ा भी वादा निभा पाती तुम
छल रहे खुद को,अकारण ही तुम
प्रेम मिलता नहीं है कही राह पर
जो मचल जाते थे........
जैसे साँसों की गिनती भी होती नहीं
कोई आयु भी निश्चित नहीं देह की
वेसे तुमने भी थोड़े समय के लिये
ली परीक्षा थी क्योंकर मेरे नेह की
प्यार दो दिन का कोई नहीं खेल है
डूबकरके जो पाती यदि थाह पर
जो मचल जाते थे..........
मुझे लग रहा है कि खुश तुम नहीं
तुम्हारी तड़प कह रहा ये आसमां
रिक्त अब दिल का भवन लग रहा
आँखों में भी हे खालीपन ख़ामख़ा
प्यार स्वीकार कर निभा पाती तुम
और मुझे घेर लेती यदि बाँह पर
जो मचल जाते थे.......
है प्यार पाना तो,खुशबु संजोकर जियो
महको खुद भी,और बाग़ महकाओ तुम
अगर सच में मुझसे हो ही गया प्यार तो
करो देख रेख,ये रिश्ता निभाओ भी तुम
कोर के आंसुओ से कहो न आये बस करें
अब तो रहता हे प्यार बस इस निगाह पर
जो मचल जाते थे......
@डॉ मोहन बैरागी
20/01/17