कौन है जो फिर से एक और सभरवाल कांड चाहता है ।
मोहन बैरागी/अक्षरवार्ता
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय में सोमवार को एक और सभरवाल कांड हो जाता,गनीमत रही की मौके पर पुलिस और विश्वविद्यालय के अधिकारी कर्मचारियों ने मामला संभाल लिया। इस बार भी आरोप भगवा ब्रिगेड पर है। सोमवार की शाम भारतीय जनता पार्टी का एक अनुषांगिक संग'न के २५-३० कार्यकर्ता हाथो में ला'ियां लेकर विक्रम विश्वविद्यालय में कुलपति कक्ष में पहुँच गये,इनके हाथों में डंडे और शायद कुलपति को कालिख लगाने के लिए आईल की केन थी। ये कुलपति के उस बयान से नाराज थे जो उन्होनें विक्रम विश्वविद्यालय में पढ़ रहें कश्मीरी छात्रों के लिए दिया था। कुलपति डॉ. जवाहर लाल कौल ने मीडिया में कश्मीर में आई बाढ़ के कारण विक्रम विश्वविद्यालय में पढ़ रहे कश्मीरी छात्रों के लिए मदद की अपील की थी,उन्होनें कहा था कि इन विद्याथिNयों से रहने का किराया ना लिया जाए। कुलपती के इस बयान से भगवा ब्रिगेड के एक अनुषांगिक संग'न ने कुलपती पर हमला ही बोल दिया,इनका कहना था कि कुलपती अपना बयान वापस लें। इस पर कुलपति का कहना था की इतनी बड़ी आपदा पर देश के प्रधानमंत्री लोगों से मदद की अपील कर रहे हैं तब मैनें भी अपील कर दी तो कौन सा गुनाह कर दिया। इस पर भगवा ब्रिगेड के कार्यकर्ता भड़क गए और उन्होनें कुलपति कक्ष की टेबल तथा अलमारियों के कांच तोड़ दियें वे कुलपति की नेमप्लेट को भी तोड़ दिया। ज्ञात रहें की पुर्व में भी उज्जैन के माधव महाविद्यालय में प्रोपेâसर सभरवाल कांड हुआ था,जिसमें इसी प्रकार से छात्र संघ चुनाव के समय कुछ लोगों ने प्रोपेâसर सभरवाल के साथ झुमा झुटकी की थी जिसके कारण मौके पर पर प्रो.सभरवाल की मौत हो गई थी। तथा इस कांड की चर्चा पुरे देश में हुई थी। तब भी भाजपा के एक आनुषांगिक संग'न के पदाधिकारियों का नाम आया था तथा बाद में कई वर्षो तक इन पदाधिकारियों को जेल भी काटना पड़ी थी। एैसा क्युँ होता की भाजपा की सरकार में ये इतने उद्दण्ड और उछशृंखल हो जाते है,शैक्षणिक वातावरण मेें इस तरह की घटनाओं से वर्तमान पीढ़ी जिसके भविष्य का निर्माण इस संस्थाओं में हो रहा है उन पर क्या प्रभाव पड़ता होगा,वर्तमान ज्यादातर देखा जा रहा है कि उम्र में कम विंâतु अपनी पहचान अधिकतम लोगों तक बनाने की ललक इन युवाओं को राजनीति अथवा इसके सहयोगी संग'नों तक ला रही है,ओर राजनैतिक संग'न भी इससे परहेज नहीं कर रहें है। किसी भी पार्टी का काई भी कार्यक्रम हो अथवा किसी भी नेता का जन्म दिन हो,इस दुसरे दिन इन युवाओं के चेहरे वाले होर्डिंग्स हर शहर के प्रमुख चौराहों पर नजर आ जाते है। क्या ये सच्ची राजनीति सीख रहे है या फिर अपना भविष्य और शिक्षा दोनों के साथ खिलवाड़ कर रहें है। क्युँ इन संस्थाओं में इस तरह है हालात पैदा हो रहें है ओर आश्चर्यजनक बात ये है कि प्रमुख राजनैतिक संग'न के बड़े ओर बुद्धिजीवी भी इस पर कोई रोक नही लगा रहें है,क्या उन्हे नहीं दिखाई देता है कि शिक्षा का वातावरण कितना खराब हो रहा है,कोई शिक्षक अब शिक्षक नही रह गया,वो इन छुटभैये नेतानुमा विद्याथिNयोंं के वंâधे पर हाथ रख कर इनसे दोस्ती को मजबुर है। वो जानता है कि इन छात्रों को साथ लेकर चलेंगे तो अपनी नौकरी 'ीक से कर पाऐंगे। लेकिन इन सारे हालात पर कई सारे सवाल खड़े होते है और इन सवालों के जवाब भी इन्हीं सब जिम्मेदारों के पास है,अगर इन सवालों के जवाब नही ं दिये गये ओर व्यवस्थाओं में बदलाव नहीं किये गये तो शिक्षा,शिक्षण संस्थान,राजनैतिक संग'न और युवा इन सब में नैतिक गिरावट होती रहेगी और इसकी जिम्मेदारी भी हम सब जिम्मेदारों की होगी।
मोहन बैरागी/अक्षरवार्ता
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय में सोमवार को एक और सभरवाल कांड हो जाता,गनीमत रही की मौके पर पुलिस और विश्वविद्यालय के अधिकारी कर्मचारियों ने मामला संभाल लिया। इस बार भी आरोप भगवा ब्रिगेड पर है। सोमवार की शाम भारतीय जनता पार्टी का एक अनुषांगिक संग'न के २५-३० कार्यकर्ता हाथो में ला'ियां लेकर विक्रम विश्वविद्यालय में कुलपति कक्ष में पहुँच गये,इनके हाथों में डंडे और शायद कुलपति को कालिख लगाने के लिए आईल की केन थी। ये कुलपति के उस बयान से नाराज थे जो उन्होनें विक्रम विश्वविद्यालय में पढ़ रहें कश्मीरी छात्रों के लिए दिया था। कुलपति डॉ. जवाहर लाल कौल ने मीडिया में कश्मीर में आई बाढ़ के कारण विक्रम विश्वविद्यालय में पढ़ रहे कश्मीरी छात्रों के लिए मदद की अपील की थी,उन्होनें कहा था कि इन विद्याथिNयों से रहने का किराया ना लिया जाए। कुलपती के इस बयान से भगवा ब्रिगेड के एक अनुषांगिक संग'न ने कुलपती पर हमला ही बोल दिया,इनका कहना था कि कुलपती अपना बयान वापस लें। इस पर कुलपति का कहना था की इतनी बड़ी आपदा पर देश के प्रधानमंत्री लोगों से मदद की अपील कर रहे हैं तब मैनें भी अपील कर दी तो कौन सा गुनाह कर दिया। इस पर भगवा ब्रिगेड के कार्यकर्ता भड़क गए और उन्होनें कुलपति कक्ष की टेबल तथा अलमारियों के कांच तोड़ दियें वे कुलपति की नेमप्लेट को भी तोड़ दिया। ज्ञात रहें की पुर्व में भी उज्जैन के माधव महाविद्यालय में प्रोपेâसर सभरवाल कांड हुआ था,जिसमें इसी प्रकार से छात्र संघ चुनाव के समय कुछ लोगों ने प्रोपेâसर सभरवाल के साथ झुमा झुटकी की थी जिसके कारण मौके पर पर प्रो.सभरवाल की मौत हो गई थी। तथा इस कांड की चर्चा पुरे देश में हुई थी। तब भी भाजपा के एक आनुषांगिक संग'न के पदाधिकारियों का नाम आया था तथा बाद में कई वर्षो तक इन पदाधिकारियों को जेल भी काटना पड़ी थी। एैसा क्युँ होता की भाजपा की सरकार में ये इतने उद्दण्ड और उछशृंखल हो जाते है,शैक्षणिक वातावरण मेें इस तरह की घटनाओं से वर्तमान पीढ़ी जिसके भविष्य का निर्माण इस संस्थाओं में हो रहा है उन पर क्या प्रभाव पड़ता होगा,वर्तमान ज्यादातर देखा जा रहा है कि उम्र में कम विंâतु अपनी पहचान अधिकतम लोगों तक बनाने की ललक इन युवाओं को राजनीति अथवा इसके सहयोगी संग'नों तक ला रही है,ओर राजनैतिक संग'न भी इससे परहेज नहीं कर रहें है। किसी भी पार्टी का काई भी कार्यक्रम हो अथवा किसी भी नेता का जन्म दिन हो,इस दुसरे दिन इन युवाओं के चेहरे वाले होर्डिंग्स हर शहर के प्रमुख चौराहों पर नजर आ जाते है। क्या ये सच्ची राजनीति सीख रहे है या फिर अपना भविष्य और शिक्षा दोनों के साथ खिलवाड़ कर रहें है। क्युँ इन संस्थाओं में इस तरह है हालात पैदा हो रहें है ओर आश्चर्यजनक बात ये है कि प्रमुख राजनैतिक संग'न के बड़े ओर बुद्धिजीवी भी इस पर कोई रोक नही लगा रहें है,क्या उन्हे नहीं दिखाई देता है कि शिक्षा का वातावरण कितना खराब हो रहा है,कोई शिक्षक अब शिक्षक नही रह गया,वो इन छुटभैये नेतानुमा विद्याथिNयोंं के वंâधे पर हाथ रख कर इनसे दोस्ती को मजबुर है। वो जानता है कि इन छात्रों को साथ लेकर चलेंगे तो अपनी नौकरी 'ीक से कर पाऐंगे। लेकिन इन सारे हालात पर कई सारे सवाल खड़े होते है और इन सवालों के जवाब भी इन्हीं सब जिम्मेदारों के पास है,अगर इन सवालों के जवाब नही ं दिये गये ओर व्यवस्थाओं में बदलाव नहीं किये गये तो शिक्षा,शिक्षण संस्थान,राजनैतिक संग'न और युवा इन सब में नैतिक गिरावट होती रहेगी और इसकी जिम्मेदारी भी हम सब जिम्मेदारों की होगी।