आंसू बरसे आँखों से बूंदों की झड़ी लगायी
तुमने मुझको कैसा जाना कैसी रीत निभायी
तेरा प्यार नहीं हरजाई,तेरा प्यार नहीं हरजाई
01.
ज्यो मंदिर की पूजा जैसा प्यार मेरा था पावन
आँखों में अब बदरा क्यूँ हे,बरसे क्यूँ ये सावन
कोयल गाती थी गीतों को मेरे संग संग प्यारी
समय के पल पल में थी जैसे बाते सिर्फ हमारी
जाने,अब ये किस्मत से कैसी हे लड़ाई......
तेरा प्यार नहीं हरजाई......
02.
तेरे आगे सब थे छोटे क्या धरती क्या अम्बर
मेरे संग संग जान लुटाता जर्रा जर्रा तुझ पर
बगिया,माली,कालिया,काँटा,भौरा,जलते तुझपर
तेरे एहसासों की खुशबु केवल बिखरी मुझपर
गजलो में तुम थी, तुम ही रुबाई....
तेरा प्यार नहीं हरजाई.....
03.
प्रेम शिवाला,प्रेम हिमाला, नाम खुदा का दूजा
प्रेम था शबरी के बेरों में,उर्मिला ने प्रेम को पूजा
मीर, कबीरा,जिगर, ने गाया प्रेम हे सबसे ऊंचा
प्रेम हे मीरा के भजनों में,प्रेम तुलसी की चौपाई
पुकारू में तुझको,दे दुहाई.....
तेरा प्यार नहीं हरजाई.......
@डॉ मोहन बैरागी
Copyright
तुमने मुझको कैसा जाना कैसी रीत निभायी
तेरा प्यार नहीं हरजाई,तेरा प्यार नहीं हरजाई
01.
ज्यो मंदिर की पूजा जैसा प्यार मेरा था पावन
आँखों में अब बदरा क्यूँ हे,बरसे क्यूँ ये सावन
कोयल गाती थी गीतों को मेरे संग संग प्यारी
समय के पल पल में थी जैसे बाते सिर्फ हमारी
जाने,अब ये किस्मत से कैसी हे लड़ाई......
तेरा प्यार नहीं हरजाई......
02.
तेरे आगे सब थे छोटे क्या धरती क्या अम्बर
मेरे संग संग जान लुटाता जर्रा जर्रा तुझ पर
बगिया,माली,कालिया,काँटा,भौरा,जलते तुझपर
तेरे एहसासों की खुशबु केवल बिखरी मुझपर
गजलो में तुम थी, तुम ही रुबाई....
तेरा प्यार नहीं हरजाई.....
03.
प्रेम शिवाला,प्रेम हिमाला, नाम खुदा का दूजा
प्रेम था शबरी के बेरों में,उर्मिला ने प्रेम को पूजा
मीर, कबीरा,जिगर, ने गाया प्रेम हे सबसे ऊंचा
प्रेम हे मीरा के भजनों में,प्रेम तुलसी की चौपाई
पुकारू में तुझको,दे दुहाई.....
तेरा प्यार नहीं हरजाई.......
@डॉ मोहन बैरागी
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