ाqटप्पणी
आस्था में अवरोध क्यूं?
मोहन बैरागी
उज्जैन। श्रावण के तीसरे सोमवार को फिर से उज्जैन में कावड़ यात्रियों के साथ पत्थरबाजी की घटना घट गई। इंदौर से कावड़ यात्रियों का जत्था महाकाल मंदिर जा रहा तथा तब उज्जैन स्थित हरिफाटक ओवरब्रिज क्षैत्र में इस जत्थे पर पथराव किया गया। इसी समय रास्ते से गुजर रहें उज्जैन के प्रभारी मंत्री वैâलाश विजयवर्गीय की गाड़ी रूकवाकर कावड़ियों ने घटना की शिकायत की। मंत्री जी के आदेश पर इस इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया तथा पुलिस केस दर्ज कर जांच शुरू की गई। यहां बता दें कि अभी इसी माह की १४ जुलाई को महाकाल मंदिर में कावड़ियों की हुई पिटाई की जांच का नतीजा तो आया ही नही है और फिर से नई जांच शुरू हो गई। लेकिन क्या निकलकर आऐगा इस जांच में? क्या आस्था की गलती हो सकती है,कृत्य घोर निंदनीय है,ये कावड़ यात्री कई किलोमीटर से पैदल चलकर महाकालेश्वर को जल चढ़ाने के लिए आते है। ये आस्था का विषय है और आस्था में ये बार बार वैâसा अवरोध? आस्था नीजी विषय है लेकिन जब सामूहिक रूप से प्रदर्शित होती है तब सामूहिक हो जाती है ओर तब इसका असर समाज पर पड़ता है। किसी को भी किसी की भी आस्था में अवरोध पैदा करने का अधिकार नही है। इसे मौलिक अधिकार कह सकते है। लेकिन किसी भी तरह से किसी भी स्थिति में यदि व्यक्ति को अपनी आस्था पुर्ण करने में कोई बाधा उत्पन्न करता है तो ये घोर नींदनीय है और अक्षम्य भी। इस अवरोध को स्वीकार नही किया जा सकता,खासकर तब तो बिलवूâल नही जब,समय विषेश पर शृद्धालू अपनी अनन्य आस्था के साथ अपने आराध्य को श्रद्धा के जल अर्पित करने जा रहा हो। जो भी हो हमको अपनी सोच परिष्कृत करना होगा और आस्था को तथा उन सभी को आदर देना होगा अन्यथा यदि इसे सामान्य घटना समझा तो फिर ये कहीं किसी बड़े घटना का रूप ना ले लें।
आस्था में अवरोध क्यूं?
मोहन बैरागी
उज्जैन। श्रावण के तीसरे सोमवार को फिर से उज्जैन में कावड़ यात्रियों के साथ पत्थरबाजी की घटना घट गई। इंदौर से कावड़ यात्रियों का जत्था महाकाल मंदिर जा रहा तथा तब उज्जैन स्थित हरिफाटक ओवरब्रिज क्षैत्र में इस जत्थे पर पथराव किया गया। इसी समय रास्ते से गुजर रहें उज्जैन के प्रभारी मंत्री वैâलाश विजयवर्गीय की गाड़ी रूकवाकर कावड़ियों ने घटना की शिकायत की। मंत्री जी के आदेश पर इस इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया तथा पुलिस केस दर्ज कर जांच शुरू की गई। यहां बता दें कि अभी इसी माह की १४ जुलाई को महाकाल मंदिर में कावड़ियों की हुई पिटाई की जांच का नतीजा तो आया ही नही है और फिर से नई जांच शुरू हो गई। लेकिन क्या निकलकर आऐगा इस जांच में? क्या आस्था की गलती हो सकती है,कृत्य घोर निंदनीय है,ये कावड़ यात्री कई किलोमीटर से पैदल चलकर महाकालेश्वर को जल चढ़ाने के लिए आते है। ये आस्था का विषय है और आस्था में ये बार बार वैâसा अवरोध? आस्था नीजी विषय है लेकिन जब सामूहिक रूप से प्रदर्शित होती है तब सामूहिक हो जाती है ओर तब इसका असर समाज पर पड़ता है। किसी को भी किसी की भी आस्था में अवरोध पैदा करने का अधिकार नही है। इसे मौलिक अधिकार कह सकते है। लेकिन किसी भी तरह से किसी भी स्थिति में यदि व्यक्ति को अपनी आस्था पुर्ण करने में कोई बाधा उत्पन्न करता है तो ये घोर नींदनीय है और अक्षम्य भी। इस अवरोध को स्वीकार नही किया जा सकता,खासकर तब तो बिलवूâल नही जब,समय विषेश पर शृद्धालू अपनी अनन्य आस्था के साथ अपने आराध्य को श्रद्धा के जल अर्पित करने जा रहा हो। जो भी हो हमको अपनी सोच परिष्कृत करना होगा और आस्था को तथा उन सभी को आदर देना होगा अन्यथा यदि इसे सामान्य घटना समझा तो फिर ये कहीं किसी बड़े घटना का रूप ना ले लें।