Dr.Mohan Bairagi

Thursday, January 19, 2017

जिंदगी ने हमें कैसे पल ये दिए
मांगते जिंदगी,जिंदगी के लिए

प्रीत का हर भवन खाली खाली हुआ
लय से गीतों को धड़कने गाती नहीं
जब शेष आयू समर में गुजरती लगे
कोई बूढ़ा है गर शजर तो यही रीत हैं
छाँव बैठे घड़ी को, के फिर चल दिए
जिंदगी ने हमें.........

आस के ताने बाने ज़माने में कितने बुने
उम्र ही काट दी चाह में और कितना सुने
खुद के भीतर समेटे रहे जिंदगी,जिंदगी
और बोलता कौन जब हम, स्वयं मौन थे
जरा मुस्कुरा भी न पाये थे जो पल दिए
जिंदगी ने हमें...........

देह मायूस ये सोचकर,क्या मिला क्या गया
स्वपन जो एक आकार, साकार हो न सका
परायी ये साँसे अपनी, हुयी ना रही उम्रभर
प्रश्न अपने किससे पूछे निरुत्तर यहाँ हैं सभी
ढोंग करले कोई जाने,अजाने छल सभी ने किए
जिंदगी ने हमें.........
Copywrite@
डॉ मोहन बैरागी
20/1/2017

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