Dr.Mohan Bairagi

Saturday, June 28, 2014

व्यापम- संघ,सुदर्शन,सोनी,शिवराज,साधना,उमा,रामनरेश
कहीं पढ़ा था कि मध्यप्रदेश का व्यावसायिक परीक्षा मंडल का घोटाला एशिया का सबसे बड़ा घोटाला है। छोटे से फर्जीवाडे़ को पकड़ने के चक्कर में परत दर परत ये इतना बड़ा होता जा रहा है कि अब इसमें राज्यपाल और आरएसएस के पुर्व प्रमुख दिवंगत के एस सुदर्शन तथा पूर्व सहसरकार्यवाहक सुरेश सोनी का नाम भी सामने आ रहा है। व्यापम के पुर्व परीक्षा नियंत्रक ने तो लिखित में बयान देकर आरएसएस के इन लोगो के नाम लिए है।
इतना ही नही एसटीएफ को जांच में राज्यपाल रामनरेश यादव के भी व्यापम फर्जीवाड़े में सिफारिश करने की जानकारी मिली है।
एसटीएफ की जाचं में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तथा उनकी पत्नि साधना सिंह का नाम भी उछल रहा है वहीं दुसरी तरफ मप्र की पुर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी इस घोटाले की आंच से अछूती नही है।
अभी जांच चल रही है लेकिन अनुमान के मुताबित १००० से ज्यादा नियुक्तियां व्यापम के माध्यम से फर्जी तरीके से की गई है।
सवाल ये उठता है कि एक तरफ जहां पहले के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने १० साल तक प्रदेश के युवाओं को बेरोजगारी,निराशा,हताशा,दी तो उसके बाद फिर पिछले १० सालों में शिवराज सरकार ने उसके विपरित लोगो को रोजगार,नागरिक सुविधाएं दी,लेकिन किसको पता था कि इस सब के पिछे अधिकतर बड़े बडे नेताओं की सिफारिश वाले लोगो को ही लाभ दिया जा रहा है।
बेचारा गरीब मध्यम वर्गीय परिवार का युवा आज भी शिक्षित बेरोजगार है और इस भ्रष्ट  व्यवस्था से तंग आकर अवसाद का शिकार हो रहा है।
भ्रष्टाचार की इस बहती धारा में जिन युवा युवतियों को पता चला तो उन्होने भी रिश्वत देकर अपनी नौकरी पक्की कर ली,लेकिन अब वे भी सलाखों के पिछे चले गये है,क्या कसुर है उनके मासुम बच्चों का,और क्या कसुर है उन युवा युवतियों को जिन्होने रिश्वत देकर नौकरी पायी,व्यवस्था ही एैसी भ्रष्ट बना दी गई है,एैसे में कोई क्या करें?
कब तक इन युवाओं को भ्रमित किया जायेगा,कब तक इनका शोषण और दोहन किया जायेगा,कब तक इनको निर्दोष होते हुए भी दोषी साबित किया जायेगा।
दोषी सिफ वे लोग है जो रिश्वत लेकर काम करते है,दोषी वे लोग है जो उंचे पदो पर बैठकर सिफारिश करते है। ाqपछले २० वर्षो में मध्यप्रदेश के हजारो लाखो युवाओं का भविष्य यदि बरबाद हुआ है तो सिफ इस भ्रष्ट व्यवस्था और इन भ्रष्टाचारियों के कारण।
-डॉ.मोहन बैरागी

Wednesday, June 25, 2014

मैं महकता उन सांसों मे,तुम चहकती इस धड़कन में
जज्.बातों से बातें होती,अरमानों से मुलाकातें होती
स्पर्श संवेदनाओं के होते....
कुछ तो मोल लगाती मेरे अस्तित्व का
लेकिन तुमने सिर्पâ अपने लिए चुना सिर्पâ?
मै नहीं बन पाया किसी भी रूप में तुम्हारे लायक
क्यूंकि मैं अपनी ़जमीन को नही छोड़ पाया
मूझे अपने सही होने का गर्व था,
लेकिन तुमने मेरे अस्तित्व का झंकझोर दिया,
शायद सच हो तुम,किसी के भी तो काम का नही मेरा अस्तित्व
क्यूंकि मै नही औरो के जैसा
क्यूंकि मुझमें झूठ,फरेब,धोखा,और अहंकार नही था,
नहीं तो शायद मै भी होता आज तुम्हारे साथ
                          मोहन बैरागी
                                         २५/०६/२०१४
शंकराचार्य,सार्इं,शक्कर
पिछले दो दिन से सारे देश में शंकराचार्य,सार्इं और शकर छाये हुए है। शंकराचार्य और सार्इं से धार्मिक आस्था जुड़ी है, और शकर से सरकार।
द्वारिका शारदा पीठ के जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा था कि सार्इं भक्त राम की पुजा करना बंद करें,गंगा स्नान भी न करें तथा हर हर महादेव का जप करना भी छोड़ दे,शंकराचार्य के इस बयान पर सारे देश में बवाल हो हल्ला हो गया और बनारस से लेकर शिर्डी तक सभी जगह प्रदर्शन हो रहे है। तथा शिर्डी में केस दर्ज भी हो गया। शंकराचार्य को नही मानने वालों ने कई जगह उग्र प्रदर्शन भी किया।
सार्इं भगवान थे,या भगवान के अवतार या सामान्य मनुष्य ये तो धर्माचार्यो पर छोड़ा जा सकता है लेकिन दुसरी तरफ क्या इन्ही धर्माचार्यो कटटरपंथीयों तथा किसी भी धर्म को मानने वालो की जिम्मेदारी नही बनती की महंगाई,बिगड़ती कानून व्यवस्था पर बोले,और सरकार को मजबूर करें,आम आदमी के लिए पहले पेट जरूरी है उसके बाद आस्था आती है।अत्यंत शृद्धा के साथ और क्षमा के साथ सभी धर्मो के धमाचार्यो को धार्मिक आस्था के साथ देश की सामाजिक और मुख्यत: जिससे आम आमदी का हित जुड़ा,एैसे मुद्दो पर बोलना चाहिये,आम आदमी के पहली जरूरत पेट है।
सरकार ने शकर के दाम बढ़ाए,रेल किराया बढ़ाया,फिर रसोई गैस के तथा पेट्रोल डिजल के दाम बढ़ेगे,उस से बदहाल होती कानून व्यवस्था,एैसे में आम आदमी को सिर्पâ राहत,रहम और रोटी चाहिये।

Sunday, June 22, 2014

उमा,उज्जैन,असलम
सुप्त कांग्रेस में काले झण्डों से जान
उज्जैन। व्यापम घोटाले में नाम आने के बाद मध्य प्रदेश कि पुर्व मुख्यमंत्री तथा केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती उज्जैन आई तब कांग्रेस नेता अलसल लाला और उनके साथियों ने उमा भारती को काले झण्डे दिखाएं। उमा भारती उज्जैन को बहुत मानती है उन्होने भाजपा से अलग होकर उज्जैन से ही अपनी नई पार्टी की घोषणा की थी,हालांकि उनकी पार्टी की बहुत बुरी हालत हुई और वे खुद चुनाव हार गई थी,बाद में उन्होने फिर से भाजपा ज्वाईन की और झांसी से वे चुनाव जीती। जब वे स्वयं की पार्टी में थी तब उन्होने खुद व्यापम घोटाले का विरोध किया था तथा एसटीएफ के आला अधिकारियों को अपने बयान दर्ज करवाये थे। अब जब वे भाजपा की वेंâद्रिय मंत्री है तब एक बार फिर उनका नाम व्यापम घोटाले में उछल कर सामने आया है और इसी के चलते उनकी उज्जैन यात्रा में इस बार कांग्रेस नेता असलम लाला ओर उनके साथियों ने स्थानीय बेगमबाग क्षैत्र में काले झण्डे दिखाकर विरोध किया। मामले को पुलिस ने गंभीरता से लिया और मौके से असलम लाला के एक साथी को पकड़ लिया,बाद में असलम लाला और उनके अन्य तीन साथी भी महाकाल थाने में पेश हो गए। पुलिस ने चारों पर शांति भंग करने का प्रकरण दर्ज कर लिया। प्रकरण दर्ज होने की जानकारी जब कांग्रेस के अन्य आला नेताओं को लगी तब शहर अध्यक्ष अनंत नारायण मीणा,पुर्व विधायक राजेन्द्र भारती,पुर्व विधायक बटुकशंकर जोशी,आजम शेख,मुकेश भाटी,अजित सिंह,चद्रभाल सिंह चंदेल,सुनील कछवाय आदि महाकाल थाने पहूंचे और असलम तथा उनके साथियों को छोड़ने की मांग करने लगे। महाकाल थाने पर पुलिस अधिकारियों से इन नेताओं की तीखी बहस भी हुई। बाद में पुलिस ने चारों आरोपियों को एसडीम कोर्ट में पेश किया जहां से उनकी जमानत हो गई।
ाqपछले काफी अर्से से शहर में कांग्रेस की हालत खराब है तथा कांग्रेस में अपने ही अपनो को खतम करने की राजनीति वाली नीति चल रही है,विधानसभा में और फिर लोकसभा में कांग्रेस की हार के बाद तो कांग्रेस का अस्तित्व ही खतम सा लगता है,एैसे में कुछ युवा नेता जिनका भविष्य कांग्रेस में उज्जवल हो सकता है,सड़क पर भी विपक्षी दलों के भ्रष्टाचार तथा सरकार एवं उसके भ्रष्टाचार के खिलाफ किसी भी तरह छोटा मोटा विरोध कर स्वयं में तथा पार्टी में उर्जा का संचार करने की कोशिश कर रहे है। कांग्रेस के बड़े एवं पुराने तथा वरिष्ठ नेताओं को भी भ्रष्टाचार के खिलाफ रणनीति बनाकर विरोध और आंदोलन करना पड़ेगें,यदि एैसा नही किया तो इन नेताओ की कांगे्रस सिर्पâ इतिहास बनकर रह जाएगी। असलम लाला के इस विरोध प्रदर्शन से कुछ तो सक्रियता दिखी है पार्टी में तथा ये हलचल मीडिया की सुर्खिया भी बनी,जिसकी कांग्रेस को जरूरत भी है।

Saturday, June 21, 2014

टप्पणी- मोहन बैरागी
महाकाल गर्भग्रह में रिसाव और नियुक्तियों का जमाव
खबर है कि महाकाल मंदिर में भगवान कार्तिकेय की मुर्ती के पिछे से रेत का रिसाव हो रहा है,कहा जा रहा है कि कही पीछे से दीवार खोखली नही हो गई हो,रिसाव का पता लगने के बाद उज्जैन शासकीय इंजीनियरिंग कालेज से इंजीनियरों की टीम तथा महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अधिकारियों ने इस जगह का निरीक्षण किया,अभी और जांच होना बाकी है तथा एक दो दिन में ये अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे।अभी कुछ ाqदन पुर्व ही मंदिर परिसर में एक पेड़ के गिरने से मासूम की जान चली गई थी,इसके बाद प्रशासन और मंदिर परिसर में अन्य खतरनाक पेड़ो की छटनीं करवाई थी। ज्ञात रहें शासन की विभिन्न योजनाओं के कई नये निमार्ण कार्य महाकाल मंदिर में काफी समय से चल रहे है लेकिन पुराना कहा और क्या रखरखाव करना है इसकी किसी को चिंता नही है,भगवान कार्तिकेय की मुर्ती के पिछे दीवार में रेत का क्षरण होना मामूली बात नही है,ये फिर किसी हादसे की पुर्व सुचना हो सकती है,मामले को गंभीरता से लेकर अधिकारियों को जांच रिपोर्ट मिलने पर तुरतं कार्यवाही कर इसे दुरूस्त करना चाहिये,एैसी अपेक्षा करते है,और आम जन सिर्पâ अपेक्षा ही कर सकता है,क्यूकि उसकी कोई नही सुनता,मंदिर में हो रही अनियमितताओं के लिए एैसे ही आम जनता आवाज उठाती है लेकिन नक्कारखाने की तुती के आगे उनकी आवाज दबकर रह जाती है,पिछले दिनों महाकाल मंदिर समिति ने तीन अवैध नियुक्तियां कर दी,और आम आदमी बस यह कर रह गया की ये नियुक्तियां अवैध है,जब जानना चाहा कि ये नियुक्तियां किस आधार पर कि गई तो तर्वâ दिया गया कि इनके आवेदन पुर्व से पड़े थे इसलिए नियुक्ति कर दिया गया। जबकि नियमानुसार मंदिर प्रबंध समिति का अखबारों में विज्ञप्ति प्रकाशित कर आवेदन मंगवाकर परिक्षण के उपरांत नियुक्ति करना थी,लेकिन एैसा नही किया गया,मामला जब कलेक्टर के समक्ष गया तब कलेक्टर भी इस बात से सहमत थे कि नियुक्तियां अवैध है,लेकिन उन्होनें भी इन्हे हटाने कि कार्यवाही नही की।
मतलब होता है? चलता है ? की तर्ज पर आम जनता के लिए यही सही है कि मूक दर्शक बनकर देखती रहे,अधिकारी और कर्मचारी सिर्पâ शासकीय प्रक्रियाओं में उलझाने का काम कर सकते है तथा आम जन को झूठी सांत्वना ही दे सकते है।
जो भी हो ध्यान नही दिया गया तो तो ये रिसाव और जमाव चलता रहेगा,और नुकसान जनता का ही होगा।

Thursday, June 19, 2014

पेâसबुक मैत्री : दुर की राम राम : दंभियों से कैसे हो संबंध
पेâसबुक मैत्री यानी दुर की राम राम,क्या एैसा कहा जा सकता है,मैं यह नहीं समझ पा रहा हूँ कि पेâसबूक लोगो को जोड़ने का माध्यम है या फिर सिर्पâ दुर की राम राम करने के लिए है। मेरे साथ मेरे एक पेâसबुक मित्र की बातचीत से मुझे यही लगा,उन्होने मुझे उनके दंभी होने का एहसास करवाया। मैं नही समझ पाया कि पेâसबूक ने सीमाएं तोड़ी है या फिर गैप बनाया है या सिर्फ झूठ,नकलीपन,दिखावा,छलावा,यही सब कुछ है यहां। मैं मानता था कि पेâसबुक दुनिया के उन छ अरब से अधिक लोगो को जोड़ने का शसक्त माध्यम है जिनके साथ हम व्यवहारिक,व्यवसायिक,मैत्रीपूर्ण,दोस्ताना,या पारिवारिक भी संबंध रख सकते है।
लेकिन कल मेरे एक मित्र जिन्होने मुझे मेरे परीक्षण (मेरी पुरी जानकारी लेने के बाद)के बाद अपनी मित्र सुची में शामिल किया और अपनी स्वयं की पहचान को सुरक्षित रखा। पश्चात अगले दिन जब सामान्य कनर्वसेशन शुरू हुआ तो इन्होनें धीरे धीरे मेरा संपूर्ण परिचय लेकर तथा मेरे विचारों को जानकर अपना परिचय देना शुरू किया,जिसमें दंभ,अभिमान,और अपने बड़े होने का एहसास करवाया,मेरे ये मित्र भारत सरकार के एक बड़े उपक्रम में बड़े अधिकारी है,मुझे इन्होने अपना नाम,पद,उम्र,वेतन,कार्य स्थल,तथा वर्वâ प्रोफाईल भी बताया,उन्होने दंभी अंदाज में मुझसे पुछा और कहा कि वे गरीबों की सेवा के लिए डोनेशन देते है,क्या मै एैसा करता हॅू ?
उन्होनें कहा वे उन्मुक्त विचारों के नहीं है,यहां उन्मुक्त विचार से तात्पर्य स्वच्छंद होकर गरिमा अनुरूप सभी से अपनी बातों को, विचारो को शेयर करना तथा जितना संभव हो खुशियों का संचार किया जाना था,लेकिन मेरे इन मित्र का मानना है कि वे एैसा नही करते है तथा मैं गलत हूं,उन्होंने अपने उंचें पद और प्रतिष्ठित होने के प्रमाण के लिए मुझे बड़े समाचार पत्रों जैस टाईम्स आफ इंडिया तथा एक अन्य समाचार पत्र के कुछ लोगो का हवाला दिया कि मै उनसे पुछ सकता हुं,परंतु मै समझ नही पा रहा था कि इतथा दंभ और अभिमान किसलिए,मै साधारण सोच से सिर्पâ यह समझ और कह सकता था कि यदि हम पेâसबुक पर अपनी मित्र सुची बढ़ाते है और अच्छे लोगो का चयन करते है तब हम सब सभी से अच्छे व्यवहार की अपेक्षा करते है तथा सभी से मजबूत ओर स्थायी संबंध बनाने की चेष्टा करते है,कम से कम मैं तो एैसा ही करता हूँ। लेकिन इतना सब कुछ बताने के बाद भी पेâसबुक पर किसी की भी असली पहचान वैâसे कि जा सकती है,क्यूकि पेâसबुक मे करोड़ो लोगो के प्रोफाईलस है तथा आधे ज्यादा पेâक है,अब एैसे में यदि कोई अपना बखान करता भी है तो वैâसे माना जाय कि वो सही है या नही।
खैर में अपने अन्य सभी मित्रों से अपेक्षा करता हूं कि वे मेरे विचारों का सम्मान करेंगें,जिसमें सभी के लिए आदर है,मैं आपकी प्रतिष्ठा को नमन करता हूूं।
अंत में आपको बता दूं मैं जिनकी बात कर रहा हूं वे मेरी महिला मित्र है।

Wednesday, June 18, 2014

व्यापम घोटाला : एसटीएफ का फटा टायर
व्यापम घोटाला मध्यप्रदेश के बड़े घोटालों में से एक है,इसमे प्रदेश के मुखिया से जुड़े कुछ लोगो के नाम सामने आए और कुछ की गिरफ्तारी भी हुई। लेकिन लंबे अर्से से चल रहे इस घोटाले की जांच कहां जाकर रूकेगी,अभी कहा नही जा सकता। १८ जून २०१४ को एसटीएफ की टीम ने मालवा निमाड़ के कई जिलों में छापा मारकर पीएमटी घोटालें के पांच दर्जन से अधिक छात्रो तथा उनके परिजनों को पकड़ा। एसटीएफ की टीम इनको भोपाल मुख्यालय ले जा रही थी कि आरोपियों को ले जा रहे वाहन का टायर फट गया तथा वाहन पलट गया,जिसमें कुछ छात्रों को मामूली चोट,एक को गंभीर चोट आई,जिन्हे तत्काल चिकित्सा उपलब्ध करवाई गई।
दुसरी तरफ पुर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा भी एसटीएफ की हिरासत में है और पिछले चार दिन से उनसे पुछताछ नही हो पाई है। एसटीएफ की जांच की धीमी गति से लगता है कि कुछ बडी मछलियों को बचाने की कोशिश की जा रही है जो इस घोटाले में शामिल है,अतः जैसे एसटीएफ के वाहन का टायर फटा कही,वैसे ही इस घोटाले की जांच का टायर भी ना फट जायें,और अन्य घोटालों की जांच की तरह इसमें भी बरसों लग जायेंगे ओर आरोपियों को सजा नही मिल पाएगी।
मोहन बैरागी
१९/०६/२०१४