जिंदगी रेत की मानिंद फिसलती होगी
दरकते रिश्तों से दृग धार निकलती होगी
तिनका तिनका बिखरा कुनबा सारा क्यूं..
ठेस बुजूर्गो के दिल को भी तो लगती होगी।
डॉ.मोहन बैरागी
दरकते रिश्तों से दृग धार निकलती होगी
तिनका तिनका बिखरा कुनबा सारा क्यूं..
ठेस बुजूर्गो के दिल को भी तो लगती होगी।
डॉ.मोहन बैरागी