Dr.Mohan Bairagi

Monday, September 12, 2016

जिंदगी रेत की मानिंद फिसलती होगी
दरकते रिश्तों से दृग धार निकलती होगी
तिनका तिनका बिखरा कुनबा सारा क्यूं..
ठेस बुजूर्गो के दिल को भी तो लगती होगी।
डॉ.मोहन बैरागी
पत्तीयों का रंग हरा,क्यू पीत सा यूं हो गया
नजरें तेरी बदल गयी,प्रतीत सा यूं हो गया
ठहरी हुयी सी झील थी,कहां से ज्वार आ गया
पानी में खार आ गया,पानी में खार आ गया
पानी में खार......
डॉ.मोहन बैरागी
मेरी कविता के कुछ अंश आप भी पढि़ये......
जीवन के झंझावातों में कितना बिखरे कितना टूट गए
सपने थे सब सुरज के,पर अंधियारे लूट गये
धुप बराबर पुरी चौखट,फिर क्यु आधा उजियारा हे
जर्रा जर्रा रोशन करता,घर मेरे आकर के हारा हे
दीवारों पर पपड़ी देखी,और टकराकर लौट गया
शायद खुद के दिल पर भी,लेकर के कोई चोट गया
जीना किसको कहते,सुरज ने खुद आकर के देखा हे
तपता हु मैं उससे भी ज्यादा,कहती हाथो की रेखा हे
थकते,रूकते,चलते चलते,कितने किस्से आधे ही छुट गये
सपने थे सब सुरज के,पर अंधियारे लूट गये
जीवन के झंझावातों में.................
डॉ मोहन बैरागी
मेरी एक और कविता के कुछ अंश आप भी पढ़िये......
हम खयालों में भी अक्सर उनको सम्मुख पाते है
हम खडे से देखते और वो यु ही मुस्काते है
भोर के सुरज उजाले बाटतें हर सु फिरे
पर्वतो,पदियो,मरूथल या के जंगल से घिरे
बाद आती हे चमक भी,किरणो के आकार पर
सूद जैसे चढ गया खुद,कोई साहूकार पर
फिर उजाले बांटते,जब तुमसे रोशन हो जाते है
हम खयालों में भी अक्सर..........
वो किसी आंगन की तुलसी,द्वारा का सतिया वही
होठ से तो कुछ ना बोले,आॅंखो से बतिया वही
मंदिरों की घंटियों के स्वर सरीखी तान वो
अक्षतों,कुमकुम वही,ओर आरती की थाल वो
रोशनी खुद तुमसे लेकर,दीप भी जल जाते है
हम खयालों में भी अक्सर..........
हम खयालों में भी अक्सर उनको सम्मुख पाते है
हम खडे से देखते और वो यु ही मुस्काते है
डाॅ.मोहन बैरागी
09424014366
तुम धरा मैं गगन,हो नहीं जाउंगा
फिर पुकारोगी तब, मैं नही आउंगा
बांस ही का न टुकडा,यु समझो मुझे
चुम लोगी अधर से,तो गीत ही गाउंगा....
डॉ. मोहन बैरागी
मेरे एक गीत की कुछ और पंक्तिया आपके लिए....
तुम भाव प्रणय की प्रथम परीक्षा
हमारे मन को सता रही हो,
वो सांसे उथली,वो सांसे गहरी
पथिक खडा जो हमारी देहरी
हदय समर्पण किया हदय से
नदी जो आ के नदी में ठहरी
गरजती बिजली,बसरते बादल
गगन में जैसे घटा रही हो
तुम भाव प्रणय की ......
डॉ. मोहन बैरागी
तुम धरा मैं गगन,हो नहीं जाउंगा
फिर पुकारोगी तब, मैं नही आउंगा
बांस ही का न टुकडा,यु समझो मुझे
चुम लोगी अधर से,तो गीत ही गाउंगा....
डॉ. मोहन बैरागी
जाने क्यूं हर मुश्किल का हल नहीं मिलता
व्याधियों के लिए अब गंगाजल नही मिलता
इश्क,मुहब्बत किस्से हैं,अतीत के ये सब,
अब मुमताज, ताजमहल भी नहीं मिलता 
डॉ.मोहन बैरागी

Sunday, September 11, 2016


रिश्तों में बढती दुरियों पर मेरे एक गीत की कुछ पंक्तियां
रिश्तों में क्यु खारापन है
संवादों में भी अनबन है
जाने कैसी ये उलझन है
बोली में क्यू पैनापन है
दरका दरका सा दर्पन है.......
01.
सारे रिश्ते तपती रेती
लगता जैसे बंजर खेती
कैसे फसले लह लहाएं
हरियाली अब कैसे आएं
जाने कब बरसेंगे बादल
कैसे मन की प्यास बुझाए
अंधियारा हे बहुत यहां
और रात गहन है
रिश्तों में क्यु खारापन है.......
मोहन बैरागी 

Monday, September 5, 2016

शिक्षक ब्रम्हाण्ड की धुरी है। शिक्षक से ही सर्वथा श्रृेष्ठ समाज का निर्माण होता है। सर्वपल्ली राधा$कृष्णन के जन्म दिवस 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह एक दिन,उस महान व्यक्तिव को याद करने के लिए विशेष रूप से निर्धारित कर लिया गया,गौरव की बात है। परंतु शिक्षक के लिए जो एक सभ्य सुसंस्कृत तथा शिक्षित व्यक्ति एंव फिर उससे सभ्य समाज का निर्माण करता है,उसके लिए एक ही दिन को क्यों निर्धारित कर लिया गया है? क्या शिक्षक सिर्फ एक ही दिन सम्मान का हकदार है? हालांकि भारतीय परंपरा मैं गुरू पुर्णिमा को भी गुरूजन का सम्मान किया जाता है। विभिन्न संस्कृतियों वाले उत्सवधर्मी भारत देश में ही एैसी परंपरा है कि शिक्षक को वर्ष में दो बार सम्मानित किया जाता है। गुरू तथा शिष्य अथवा शिक्षक और छात्र के संबंधों की परंपरा भी अतिप्राचीन है। परंतु वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में देश में विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के शिक्षक न केवल शिक्षा देने का कार्य करते है अपितु उन्हें अन्य कार्याे जैसे- कॉपी जॉंचना,सेमेस्टर की तैयारी करना,चुनावों ड्युटी,प्रशासनिक कार्य,जनगणना आदि अनेक काम में लगा दिया जाता है जिससे शिक्षा के स्तर कां नि:संदेह ह्स हो रहा है,तथा शिक्षक अपने विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में असमर्थ से दिखाई पड़ते है। आवश्यकता शिक्षक को पुर्णत: शिक्षा पर एवं छात्रों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देने की है जिसके लिए सरकारी तौर पर एैसी व्यवस्थाएं हो कि शिक्षक को सिर्फ और सिर्फ शिक्षण प्रशिक्षण के कार्य ही दिये जाए,जिससे हर शिक्षक श्रृेष्ठ तथा उसका हर शिष्य सर्वश्रृेष्ठ बन सके। सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की अनेक शुभकामनाएं व चरणवंदन।
डॉ.मोहन बैरागी