Dr.Mohan Bairagi

Thursday, October 9, 2014

संस्कृति कर्म को प्रोत्साहित करना ना भुले मीडिया
राष्ट्रीय परिसंवाद एवं सम्मान समारोह में विद्वानो ने जताई चिंता
उज्जैन। बदलते दौर और व्यावसायिकता का गहरा प्रभाव पत्रकारिता पर दिखाई दे रहा हैं। एैसे में भारतीय मीडिया जगत संस्कृति कर्म को प्रोत्साहित करना भुलने लगा है,जबकि विदेशो में हमारी संस्कृति के आर्वâर्षण को जिंदा रखा जा रहा है। यहां के मीडिया को चाहिये कि भाषा और संस्कृति को लेकर सजगता लाये और लिपि को बचाने में भी अपना योगदान दें। 
यह सीख वरिष्ठ मीडिया विशेषज्ञ एवं बैंक ऑफ बडौदा मुंबई के उप महा प्रबंधक डॉ.जवाहर कर्नाटक ने दी। वे रविवार को कालिदास अकादमी के अभिरंग नाट्यगृह में आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद एंव सम्मान समारोह में बोल रहे थे। संस्था कृष्णा बसंती और झलक निगम सांस्कृतिक न्यास के इस आयोजन में दैनिक भास्कर के एमपी-२ हेड नरेन्द्र सिंह अकेला ने भी पत्रकारिता के क्षैत्र में आ रहे बदलाव पर अपने विचार रखा, कहा कि बीते दौर में सीमित संसाधनों में पत्रकारिता का बेहतर निर्वहन होता था। आज संसाधन और सुविधाएं बढी तो पत्रकारिता के ज्ञान का अभाव दिखाई देता है। इस क्षैत्र के लोगों में समर्पण और लगन के साथ ही अपने दायित्वों की जिम्मेदारी का अभाव झलकता है। समारोह की अध्यक्षता कर रहें विक्रम वि वि के कुलानुशासक डॉ.शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने संस्कृति और समाज को गति देने में पत्रकारिता को आगे आने की बात की। डॉ.लक्ष्मीनारायण पयोधि ने आंचलिक पत्रकारिता के लिए क्षैत्रिय समाज और संस्कृति की पृष्ठभुमि का ज्ञान जरुरी होने पर जोर दिया। वरिष्ठ पत्रकार एवं कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने संस्कृति कर्म को लेकर मीडिया में उपेक्षा का का जिक्र करते हुए इसे अनुचित करार दिया और कला और जीवन के अटुट रिश्ते को समझने की बात कही। डॉ.भगवती लाल राजपुरोहित ने स्वर्गीय झलक निगम के मालवी साहित्य एवं सस्कृति के क्षैत्र में उनके अवदान पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष गौड ने भी स्वर्गीय निगम के मालवी के संवर्धन के लिए व्यापक प्रयत्न का उल्लेख किया। कार्यक्रम के शुभारंभ में लेखिका सुशीला निर्मोही के पांचवें काव्य संग्रह ‘कलरव’ तथा अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका अक्षर वार्ता का लोकापर्ण अतिथियों द्वारा किया गया। 
इसके अलावा प्रसन्नता शिंदे के अग्रेजी उपन्यास डिस्क्रीमिनेशन अगेंस्ट मेन ‘ए ट्रू लव टेल’ के कवर पेज का विमोचन किया। ‘कलरव’ की समीक्षा व्यंगकार डॉ.पिलकेन्द्र अरोरा ने की। अतिथि परिचय डॉ.जगदीशचंद्र शर्मा ने दिया। संस्था कृष्णा बसंती की गतिविधियों एवं उद्देश्यों की जानकारी संस्था अध्यक्ष डॉ.मोहन बैरागी ने दी,वहीं झलक निगम सांस्कृतिक न्यास की जेड श्वेतिमा निगम ने भी संस्था की जानकारी दी। इसी बीच संस्था कृष्णा बसंती द्वारा साहित्य,पत्रकारिता,लेखन एवं कला आदि क्षैत्र में योगदान देने वालों को सम्मानित किया गया। अतिथि स्वागत श्वेतिमा निगम,रुचिर प्रकाश निगम,डॉ. मोहन बैरागी,निशा बैरागी,भावना निगम,डॉ.ओ.पी.वैष्णव,सुरेश बैरागी, कृष्णदास बैरागी आदि ने किया। सरस्वती वंदना मालवी कवि मोहन सोनी ने की,परिसंवाद का संचालन श्री जीवनप्रकाश आर्य ने किया,वृहद काव्य गोष्ठी का संचालन कृष्णदास बैरागी द्वारा किया गया,जबकि पुस्तक विमोचन का संचालन कार्यक्रम का संचालन राजेश चौहान राज ने किया। आभार कृष्णा बसंती के डॉ.ओ.पी.वैष्णव ने माना।
इनका किया सम्मान- साहित्य के क्षैत्र में वरिष्ठ कवि मोहन सोनी,व्यंग्यकार पिलकेन्द्र अरोरा,शायर रमेशचंद्र ‘सोज’,कवि अरविंद त्रिवेदी ‘सनन’,गीतकार वैâलाश ‘तरल’,लघुकथाकार संतोष सुपेकर,रचना कार संदीप सृजन,व्यंग्यकार राजेन्द्र देवधरे,गीतकार राजेश चौहान ‘राज’,पक्षी वैज्ञानिक डॉ. जे पी एन पाठक,चित्रकार अक्षय आमेरिया,पत्रकार राजीव सिंह भदौरिया (दैनिक भास्कर),रवि चंद्रवंशी (पत्रिका),निरुक्त भार्गव (प्रâीप्रेस) और सुधीर नागर (नई दुनिया) के अलावा इलेक्ट्रानिक मीडिया से फोटो जर्नलिस्ट प्रकाश प्रजापत (नईदुनिया) तथा सुनील मगरिया (हिंदुस्तान टाईम्स) 






Tuesday, September 16, 2014

कौन है जो फिर से एक और सभरवाल कांड चाहता है ।
मोहन बैरागी/अक्षरवार्ता
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय में सोमवार को एक और सभरवाल कांड हो जाता,गनीमत रही की मौके पर पुलिस और विश्वविद्यालय के अधिकारी कर्मचारियों ने मामला संभाल लिया। इस बार भी आरोप भगवा ब्रिगेड पर है। सोमवार की शाम भारतीय जनता पार्टी का एक अनुषांगिक संग'न के २५-३० कार्यकर्ता हाथो में ला'ियां लेकर विक्रम विश्वविद्यालय में कुलपति कक्ष में पहुँच गये,इनके हाथों में डंडे और शायद कुलपति को कालिख लगाने के लिए आईल की केन थी। ये कुलपति के उस बयान से नाराज थे जो उन्होनें विक्रम विश्वविद्यालय में पढ़ रहें कश्मीरी छात्रों के लिए दिया था। कुलपति डॉ. जवाहर लाल कौल ने मीडिया में कश्मीर में आई बाढ़ के कारण विक्रम विश्वविद्यालय में पढ़ रहे कश्मीरी छात्रों के लिए मदद की अपील की थी,उन्होनें कहा था कि इन विद्याथिNयों से रहने का किराया ना लिया जाए। कुलपती के इस बयान से भगवा ब्रिगेड के एक अनुषांगिक संग'न ने कुलपती पर हमला ही बोल दिया,इनका कहना था कि कुलपती अपना बयान वापस लें। इस पर कुलपति का कहना था की इतनी बड़ी आपदा पर देश के प्रधानमंत्री लोगों से मदद की अपील कर रहे हैं तब मैनें भी अपील कर दी तो कौन सा गुनाह कर दिया। इस पर भगवा ब्रिगेड के कार्यकर्ता भड़क गए और उन्होनें कुलपति कक्ष की टेबल तथा अलमारियों के कांच तोड़ दियें वे कुलपति की नेमप्लेट को भी तोड़ दिया। ज्ञात रहें की पुर्व में भी उज्जैन के माधव महाविद्यालय में प्रोपेâसर सभरवाल कांड हुआ था,जिसमें इसी प्रकार से छात्र संघ चुनाव के समय कुछ लोगों ने प्रोपेâसर सभरवाल के साथ झुमा झुटकी की थी जिसके कारण मौके पर पर प्रो.सभरवाल की मौत हो गई थी। तथा इस कांड की चर्चा पुरे देश में हुई थी। तब भी भाजपा के एक आनुषांगिक संग'न के पदाधिकारियों का नाम आया था तथा बाद में कई वर्षो तक इन पदाधिकारियों को जेल भी काटना पड़ी थी। एैसा क्युँ होता की भाजपा की सरकार में ये इतने उद्दण्ड और उछशृंखल हो जाते है,शैक्षणिक वातावरण मेें इस तरह की घटनाओं से वर्तमान पीढ़ी जिसके भविष्य का निर्माण इस संस्थाओं में हो रहा है उन पर क्या प्रभाव पड़ता होगा,वर्तमान ज्यादातर देखा जा रहा है कि उम्र में कम विंâतु अपनी पहचान अधिकतम लोगों तक बनाने की ललक इन युवाओं को राजनीति अथवा इसके सहयोगी संग'नों तक ला रही है,ओर राजनैतिक संग'न भी इससे परहेज नहीं कर रहें है। किसी भी पार्टी का काई भी कार्यक्रम हो अथवा किसी भी नेता का जन्म दिन हो,इस दुसरे दिन इन युवाओं के चेहरे वाले होर्डिंग्स हर शहर के प्रमुख चौराहों पर नजर आ जाते है। क्या ये सच्ची राजनीति सीख रहे है या फिर अपना भविष्य और शिक्षा दोनों के साथ खिलवाड़ कर रहें है। क्युँ इन संस्थाओं में इस तरह है हालात पैदा हो रहें है ओर आश्चर्यजनक बात ये है कि प्रमुख राजनैतिक संग'न के बड़े ओर बुद्धिजीवी भी इस पर कोई रोक नही लगा रहें है,क्या उन्हे नहीं दिखाई देता है कि शिक्षा का वातावरण कितना खराब हो रहा है,कोई शिक्षक अब शिक्षक नही रह गया,वो इन छुटभैये नेतानुमा विद्याथिNयोंं के वंâधे पर हाथ रख कर इनसे दोस्ती को मजबुर है। वो जानता है कि इन छात्रों को साथ लेकर चलेंगे तो अपनी नौकरी 'ीक से कर पाऐंगे। लेकिन इन सारे हालात पर कई सारे सवाल खड़े होते है और इन सवालों के जवाब भी इन्हीं सब जिम्मेदारों के पास है,अगर इन सवालों के जवाब नही ं दिये गये ओर व्यवस्थाओं में बदलाव नहीं किये गये तो शिक्षा,शिक्षण संस्थान,राजनैतिक संग'न और युवा इन सब में नैतिक गिरावट होती रहेगी और इसकी जिम्मेदारी भी हम सब जिम्मेदारों की होगी।

Tuesday, July 29, 2014

ाqटप्पणी
आस्था में अवरोध क्यूं?
मोहन बैरागी
उज्जैन। श्रावण के तीसरे सोमवार को फिर से उज्जैन में कावड़ यात्रियों के साथ पत्थरबाजी की घटना  घट गई। इंदौर से कावड़ यात्रियों का जत्था महाकाल मंदिर जा रहा तथा तब उज्जैन स्थित हरिफाटक ओवरब्रिज क्षैत्र में इस जत्थे पर पथराव किया गया। इसी समय रास्ते से गुजर रहें उज्जैन के प्रभारी मंत्री वैâलाश विजयवर्गीय की गाड़ी रूकवाकर कावड़ियों ने घटना की शिकायत की। मंत्री जी के आदेश पर इस इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया तथा पुलिस केस दर्ज कर जांच शुरू की गई। यहां बता दें कि अभी इसी माह की १४ जुलाई को महाकाल मंदिर में कावड़ियों की हुई पिटाई की जांच का नतीजा तो आया ही नही है और फिर से नई जांच शुरू हो गई। लेकिन क्या निकलकर आऐगा इस जांच में? क्या आस्था की गलती हो सकती है,कृत्य घोर निंदनीय है,ये कावड़ यात्री कई किलोमीटर से पैदल चलकर महाकालेश्वर को जल चढ़ाने के लिए आते है। ये आस्था का विषय है और आस्था में ये बार बार वैâसा अवरोध? आस्था नीजी विषय है लेकिन जब सामूहिक रूप से प्रदर्शित होती है तब सामूहिक हो जाती है ओर तब इसका असर समाज पर पड़ता है। किसी को भी किसी की भी आस्था में अवरोध पैदा करने का अधिकार नही है। इसे मौलिक अधिकार कह सकते है। लेकिन किसी भी तरह से किसी भी स्थिति में यदि व्यक्ति को अपनी आस्था पुर्ण करने में कोई बाधा उत्पन्न करता है तो ये घोर नींदनीय है और अक्षम्य भी। इस अवरोध को स्वीकार नही किया जा सकता,खासकर तब तो बिलवूâल नही जब,समय विषेश पर शृद्धालू अपनी अनन्य आस्था के साथ अपने आराध्य को श्रद्धा के जल अर्पित करने जा रहा हो। जो भी हो हमको अपनी सोच परिष्कृत करना होगा और आस्था को तथा उन सभी को आदर देना होगा अन्यथा यदि इसे सामान्य घटना समझा तो फिर ये कहीं किसी बड़े घटना का रूप ना ले लें।

Tuesday, July 15, 2014

‘शिव’और ‘शिवराज’- ‘खास’ के कारण पिटते ‘आम’
कल श्रावण का पहला सोमवार था। भगवान महाकालेश्वर को जल चढ़ाने के लिए कावड़ यात्री दुर दुर से उज्जैन आए थें। और यहां पुलिस की मारपीट का शिकार हो गये। बाहर से आए कावड़ यात्रियों को नहीं पता था कि प्रदेश के मुखिया शिवराज  सिंह चौहान सपत्निक महाकालेश्वर के दर्शन के लिए आने वाले है। वे तो सामान्य सहज हमेशा की तरह अपने देवता भगवान शिव की पुजा अर्चना करने तथा श्रावण के विशेष महत्व तथा पहले सोमवार को शिवलिंग को जल चढ़ाने आए थे।
लेकिन उज्जैन पुलिस ने इन कावड़ यात्रियों की पिटाई कर दी। पुलिस को ‘शिव’ (शिवराज सिंह चौहान) के लिए व्यवस्थाएं बनाना थी,जबकि पुलिस की डुयटी सब के लिए ‘शिव’(भगवान महाकालेश्वर) के दर्शनों की व्यवस्था करना भी थी। लेकिन पुलिस ने शिव भक्तोें को महाकाल गर्भग्रह के पास रेंप तथा नंदी हॉल से कावड़यात्रियों को बाहर करना शुरू किया,जब सहज ही कावड़ यात्रियों ने इसका विरोध किया तो पुलिस बर्बरता से उन पर टुट पड़ी और उनकी पिटाई कर दी,इतनी की एक कावड़ यात्री को अस्पताल में भर्ती तक करवाना पड़ा।
सवाल ये खड़ा होता है कि इस सब का जिम्मेदार कौन है,वे पुलिस वाले,जिन्होनें कावड़ यात्रियों की पिटाई कर दी,या फिर खुद कावड़ यात्री जिनको ये पता था कि वे कितने भी महाकालेश्वर के भक्त हो जाये,आखिर वे हैं सामान्य नागरिक ही,और इस नाते उनका अधिकार बाद में आता है? या फिर खुद ‘शिव’ (शिवराज सिंह चौहान) जिनको पता था कि श्रावण के पहले सोमवार में बाहर से आए कावड़ यात्रियों की संख्या अधिक है तो व्यवस्थाएं ना बिगडे,इसके आदेश पुर्व से दिये जा सकते  थे। जो भी हो ‘आम’ फिर ‘आम’ ही रह गया और ‘खास’ ‘खास’ ही होता है ये भी सिद्ध हो गया। इसलिए अगली बार कोई भी ‘आम’ एैसे किसी भी स्थान पर जाएं तो पहले ये देख ले कि वहां कोई ‘खास’ तो नही आने वाला,अन्यथा फिर से पुलिस की मार खानी पड़ सकती है?

Saturday, June 28, 2014

व्यापम- संघ,सुदर्शन,सोनी,शिवराज,साधना,उमा,रामनरेश
कहीं पढ़ा था कि मध्यप्रदेश का व्यावसायिक परीक्षा मंडल का घोटाला एशिया का सबसे बड़ा घोटाला है। छोटे से फर्जीवाडे़ को पकड़ने के चक्कर में परत दर परत ये इतना बड़ा होता जा रहा है कि अब इसमें राज्यपाल और आरएसएस के पुर्व प्रमुख दिवंगत के एस सुदर्शन तथा पूर्व सहसरकार्यवाहक सुरेश सोनी का नाम भी सामने आ रहा है। व्यापम के पुर्व परीक्षा नियंत्रक ने तो लिखित में बयान देकर आरएसएस के इन लोगो के नाम लिए है।
इतना ही नही एसटीएफ को जांच में राज्यपाल रामनरेश यादव के भी व्यापम फर्जीवाड़े में सिफारिश करने की जानकारी मिली है।
एसटीएफ की जाचं में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तथा उनकी पत्नि साधना सिंह का नाम भी उछल रहा है वहीं दुसरी तरफ मप्र की पुर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी इस घोटाले की आंच से अछूती नही है।
अभी जांच चल रही है लेकिन अनुमान के मुताबित १००० से ज्यादा नियुक्तियां व्यापम के माध्यम से फर्जी तरीके से की गई है।
सवाल ये उठता है कि एक तरफ जहां पहले के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने १० साल तक प्रदेश के युवाओं को बेरोजगारी,निराशा,हताशा,दी तो उसके बाद फिर पिछले १० सालों में शिवराज सरकार ने उसके विपरित लोगो को रोजगार,नागरिक सुविधाएं दी,लेकिन किसको पता था कि इस सब के पिछे अधिकतर बड़े बडे नेताओं की सिफारिश वाले लोगो को ही लाभ दिया जा रहा है।
बेचारा गरीब मध्यम वर्गीय परिवार का युवा आज भी शिक्षित बेरोजगार है और इस भ्रष्ट  व्यवस्था से तंग आकर अवसाद का शिकार हो रहा है।
भ्रष्टाचार की इस बहती धारा में जिन युवा युवतियों को पता चला तो उन्होने भी रिश्वत देकर अपनी नौकरी पक्की कर ली,लेकिन अब वे भी सलाखों के पिछे चले गये है,क्या कसुर है उनके मासुम बच्चों का,और क्या कसुर है उन युवा युवतियों को जिन्होने रिश्वत देकर नौकरी पायी,व्यवस्था ही एैसी भ्रष्ट बना दी गई है,एैसे में कोई क्या करें?
कब तक इन युवाओं को भ्रमित किया जायेगा,कब तक इनका शोषण और दोहन किया जायेगा,कब तक इनको निर्दोष होते हुए भी दोषी साबित किया जायेगा।
दोषी सिफ वे लोग है जो रिश्वत लेकर काम करते है,दोषी वे लोग है जो उंचे पदो पर बैठकर सिफारिश करते है। ाqपछले २० वर्षो में मध्यप्रदेश के हजारो लाखो युवाओं का भविष्य यदि बरबाद हुआ है तो सिफ इस भ्रष्ट व्यवस्था और इन भ्रष्टाचारियों के कारण।
-डॉ.मोहन बैरागी

Wednesday, June 25, 2014

मैं महकता उन सांसों मे,तुम चहकती इस धड़कन में
जज्.बातों से बातें होती,अरमानों से मुलाकातें होती
स्पर्श संवेदनाओं के होते....
कुछ तो मोल लगाती मेरे अस्तित्व का
लेकिन तुमने सिर्पâ अपने लिए चुना सिर्पâ?
मै नहीं बन पाया किसी भी रूप में तुम्हारे लायक
क्यूंकि मैं अपनी ़जमीन को नही छोड़ पाया
मूझे अपने सही होने का गर्व था,
लेकिन तुमने मेरे अस्तित्व का झंकझोर दिया,
शायद सच हो तुम,किसी के भी तो काम का नही मेरा अस्तित्व
क्यूंकि मै नही औरो के जैसा
क्यूंकि मुझमें झूठ,फरेब,धोखा,और अहंकार नही था,
नहीं तो शायद मै भी होता आज तुम्हारे साथ
                          मोहन बैरागी
                                         २५/०६/२०१४
शंकराचार्य,सार्इं,शक्कर
पिछले दो दिन से सारे देश में शंकराचार्य,सार्इं और शकर छाये हुए है। शंकराचार्य और सार्इं से धार्मिक आस्था जुड़ी है, और शकर से सरकार।
द्वारिका शारदा पीठ के जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा था कि सार्इं भक्त राम की पुजा करना बंद करें,गंगा स्नान भी न करें तथा हर हर महादेव का जप करना भी छोड़ दे,शंकराचार्य के इस बयान पर सारे देश में बवाल हो हल्ला हो गया और बनारस से लेकर शिर्डी तक सभी जगह प्रदर्शन हो रहे है। तथा शिर्डी में केस दर्ज भी हो गया। शंकराचार्य को नही मानने वालों ने कई जगह उग्र प्रदर्शन भी किया।
सार्इं भगवान थे,या भगवान के अवतार या सामान्य मनुष्य ये तो धर्माचार्यो पर छोड़ा जा सकता है लेकिन दुसरी तरफ क्या इन्ही धर्माचार्यो कटटरपंथीयों तथा किसी भी धर्म को मानने वालो की जिम्मेदारी नही बनती की महंगाई,बिगड़ती कानून व्यवस्था पर बोले,और सरकार को मजबूर करें,आम आदमी के लिए पहले पेट जरूरी है उसके बाद आस्था आती है।अत्यंत शृद्धा के साथ और क्षमा के साथ सभी धर्मो के धमाचार्यो को धार्मिक आस्था के साथ देश की सामाजिक और मुख्यत: जिससे आम आमदी का हित जुड़ा,एैसे मुद्दो पर बोलना चाहिये,आम आदमी के पहली जरूरत पेट है।
सरकार ने शकर के दाम बढ़ाए,रेल किराया बढ़ाया,फिर रसोई गैस के तथा पेट्रोल डिजल के दाम बढ़ेगे,उस से बदहाल होती कानून व्यवस्था,एैसे में आम आदमी को सिर्पâ राहत,रहम और रोटी चाहिये।

Sunday, June 22, 2014

उमा,उज्जैन,असलम
सुप्त कांग्रेस में काले झण्डों से जान
उज्जैन। व्यापम घोटाले में नाम आने के बाद मध्य प्रदेश कि पुर्व मुख्यमंत्री तथा केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती उज्जैन आई तब कांग्रेस नेता अलसल लाला और उनके साथियों ने उमा भारती को काले झण्डे दिखाएं। उमा भारती उज्जैन को बहुत मानती है उन्होने भाजपा से अलग होकर उज्जैन से ही अपनी नई पार्टी की घोषणा की थी,हालांकि उनकी पार्टी की बहुत बुरी हालत हुई और वे खुद चुनाव हार गई थी,बाद में उन्होने फिर से भाजपा ज्वाईन की और झांसी से वे चुनाव जीती। जब वे स्वयं की पार्टी में थी तब उन्होने खुद व्यापम घोटाले का विरोध किया था तथा एसटीएफ के आला अधिकारियों को अपने बयान दर्ज करवाये थे। अब जब वे भाजपा की वेंâद्रिय मंत्री है तब एक बार फिर उनका नाम व्यापम घोटाले में उछल कर सामने आया है और इसी के चलते उनकी उज्जैन यात्रा में इस बार कांग्रेस नेता असलम लाला ओर उनके साथियों ने स्थानीय बेगमबाग क्षैत्र में काले झण्डे दिखाकर विरोध किया। मामले को पुलिस ने गंभीरता से लिया और मौके से असलम लाला के एक साथी को पकड़ लिया,बाद में असलम लाला और उनके अन्य तीन साथी भी महाकाल थाने में पेश हो गए। पुलिस ने चारों पर शांति भंग करने का प्रकरण दर्ज कर लिया। प्रकरण दर्ज होने की जानकारी जब कांग्रेस के अन्य आला नेताओं को लगी तब शहर अध्यक्ष अनंत नारायण मीणा,पुर्व विधायक राजेन्द्र भारती,पुर्व विधायक बटुकशंकर जोशी,आजम शेख,मुकेश भाटी,अजित सिंह,चद्रभाल सिंह चंदेल,सुनील कछवाय आदि महाकाल थाने पहूंचे और असलम तथा उनके साथियों को छोड़ने की मांग करने लगे। महाकाल थाने पर पुलिस अधिकारियों से इन नेताओं की तीखी बहस भी हुई। बाद में पुलिस ने चारों आरोपियों को एसडीम कोर्ट में पेश किया जहां से उनकी जमानत हो गई।
ाqपछले काफी अर्से से शहर में कांग्रेस की हालत खराब है तथा कांग्रेस में अपने ही अपनो को खतम करने की राजनीति वाली नीति चल रही है,विधानसभा में और फिर लोकसभा में कांग्रेस की हार के बाद तो कांग्रेस का अस्तित्व ही खतम सा लगता है,एैसे में कुछ युवा नेता जिनका भविष्य कांग्रेस में उज्जवल हो सकता है,सड़क पर भी विपक्षी दलों के भ्रष्टाचार तथा सरकार एवं उसके भ्रष्टाचार के खिलाफ किसी भी तरह छोटा मोटा विरोध कर स्वयं में तथा पार्टी में उर्जा का संचार करने की कोशिश कर रहे है। कांग्रेस के बड़े एवं पुराने तथा वरिष्ठ नेताओं को भी भ्रष्टाचार के खिलाफ रणनीति बनाकर विरोध और आंदोलन करना पड़ेगें,यदि एैसा नही किया तो इन नेताओ की कांगे्रस सिर्पâ इतिहास बनकर रह जाएगी। असलम लाला के इस विरोध प्रदर्शन से कुछ तो सक्रियता दिखी है पार्टी में तथा ये हलचल मीडिया की सुर्खिया भी बनी,जिसकी कांग्रेस को जरूरत भी है।

Saturday, June 21, 2014

टप्पणी- मोहन बैरागी
महाकाल गर्भग्रह में रिसाव और नियुक्तियों का जमाव
खबर है कि महाकाल मंदिर में भगवान कार्तिकेय की मुर्ती के पिछे से रेत का रिसाव हो रहा है,कहा जा रहा है कि कही पीछे से दीवार खोखली नही हो गई हो,रिसाव का पता लगने के बाद उज्जैन शासकीय इंजीनियरिंग कालेज से इंजीनियरों की टीम तथा महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अधिकारियों ने इस जगह का निरीक्षण किया,अभी और जांच होना बाकी है तथा एक दो दिन में ये अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे।अभी कुछ ाqदन पुर्व ही मंदिर परिसर में एक पेड़ के गिरने से मासूम की जान चली गई थी,इसके बाद प्रशासन और मंदिर परिसर में अन्य खतरनाक पेड़ो की छटनीं करवाई थी। ज्ञात रहें शासन की विभिन्न योजनाओं के कई नये निमार्ण कार्य महाकाल मंदिर में काफी समय से चल रहे है लेकिन पुराना कहा और क्या रखरखाव करना है इसकी किसी को चिंता नही है,भगवान कार्तिकेय की मुर्ती के पिछे दीवार में रेत का क्षरण होना मामूली बात नही है,ये फिर किसी हादसे की पुर्व सुचना हो सकती है,मामले को गंभीरता से लेकर अधिकारियों को जांच रिपोर्ट मिलने पर तुरतं कार्यवाही कर इसे दुरूस्त करना चाहिये,एैसी अपेक्षा करते है,और आम जन सिर्पâ अपेक्षा ही कर सकता है,क्यूकि उसकी कोई नही सुनता,मंदिर में हो रही अनियमितताओं के लिए एैसे ही आम जनता आवाज उठाती है लेकिन नक्कारखाने की तुती के आगे उनकी आवाज दबकर रह जाती है,पिछले दिनों महाकाल मंदिर समिति ने तीन अवैध नियुक्तियां कर दी,और आम आदमी बस यह कर रह गया की ये नियुक्तियां अवैध है,जब जानना चाहा कि ये नियुक्तियां किस आधार पर कि गई तो तर्वâ दिया गया कि इनके आवेदन पुर्व से पड़े थे इसलिए नियुक्ति कर दिया गया। जबकि नियमानुसार मंदिर प्रबंध समिति का अखबारों में विज्ञप्ति प्रकाशित कर आवेदन मंगवाकर परिक्षण के उपरांत नियुक्ति करना थी,लेकिन एैसा नही किया गया,मामला जब कलेक्टर के समक्ष गया तब कलेक्टर भी इस बात से सहमत थे कि नियुक्तियां अवैध है,लेकिन उन्होनें भी इन्हे हटाने कि कार्यवाही नही की।
मतलब होता है? चलता है ? की तर्ज पर आम जनता के लिए यही सही है कि मूक दर्शक बनकर देखती रहे,अधिकारी और कर्मचारी सिर्पâ शासकीय प्रक्रियाओं में उलझाने का काम कर सकते है तथा आम जन को झूठी सांत्वना ही दे सकते है।
जो भी हो ध्यान नही दिया गया तो तो ये रिसाव और जमाव चलता रहेगा,और नुकसान जनता का ही होगा।

Thursday, June 19, 2014

पेâसबुक मैत्री : दुर की राम राम : दंभियों से कैसे हो संबंध
पेâसबुक मैत्री यानी दुर की राम राम,क्या एैसा कहा जा सकता है,मैं यह नहीं समझ पा रहा हूँ कि पेâसबूक लोगो को जोड़ने का माध्यम है या फिर सिर्पâ दुर की राम राम करने के लिए है। मेरे साथ मेरे एक पेâसबुक मित्र की बातचीत से मुझे यही लगा,उन्होने मुझे उनके दंभी होने का एहसास करवाया। मैं नही समझ पाया कि पेâसबूक ने सीमाएं तोड़ी है या फिर गैप बनाया है या सिर्फ झूठ,नकलीपन,दिखावा,छलावा,यही सब कुछ है यहां। मैं मानता था कि पेâसबुक दुनिया के उन छ अरब से अधिक लोगो को जोड़ने का शसक्त माध्यम है जिनके साथ हम व्यवहारिक,व्यवसायिक,मैत्रीपूर्ण,दोस्ताना,या पारिवारिक भी संबंध रख सकते है।
लेकिन कल मेरे एक मित्र जिन्होने मुझे मेरे परीक्षण (मेरी पुरी जानकारी लेने के बाद)के बाद अपनी मित्र सुची में शामिल किया और अपनी स्वयं की पहचान को सुरक्षित रखा। पश्चात अगले दिन जब सामान्य कनर्वसेशन शुरू हुआ तो इन्होनें धीरे धीरे मेरा संपूर्ण परिचय लेकर तथा मेरे विचारों को जानकर अपना परिचय देना शुरू किया,जिसमें दंभ,अभिमान,और अपने बड़े होने का एहसास करवाया,मेरे ये मित्र भारत सरकार के एक बड़े उपक्रम में बड़े अधिकारी है,मुझे इन्होने अपना नाम,पद,उम्र,वेतन,कार्य स्थल,तथा वर्वâ प्रोफाईल भी बताया,उन्होने दंभी अंदाज में मुझसे पुछा और कहा कि वे गरीबों की सेवा के लिए डोनेशन देते है,क्या मै एैसा करता हॅू ?
उन्होनें कहा वे उन्मुक्त विचारों के नहीं है,यहां उन्मुक्त विचार से तात्पर्य स्वच्छंद होकर गरिमा अनुरूप सभी से अपनी बातों को, विचारो को शेयर करना तथा जितना संभव हो खुशियों का संचार किया जाना था,लेकिन मेरे इन मित्र का मानना है कि वे एैसा नही करते है तथा मैं गलत हूं,उन्होंने अपने उंचें पद और प्रतिष्ठित होने के प्रमाण के लिए मुझे बड़े समाचार पत्रों जैस टाईम्स आफ इंडिया तथा एक अन्य समाचार पत्र के कुछ लोगो का हवाला दिया कि मै उनसे पुछ सकता हुं,परंतु मै समझ नही पा रहा था कि इतथा दंभ और अभिमान किसलिए,मै साधारण सोच से सिर्पâ यह समझ और कह सकता था कि यदि हम पेâसबुक पर अपनी मित्र सुची बढ़ाते है और अच्छे लोगो का चयन करते है तब हम सब सभी से अच्छे व्यवहार की अपेक्षा करते है तथा सभी से मजबूत ओर स्थायी संबंध बनाने की चेष्टा करते है,कम से कम मैं तो एैसा ही करता हूँ। लेकिन इतना सब कुछ बताने के बाद भी पेâसबुक पर किसी की भी असली पहचान वैâसे कि जा सकती है,क्यूकि पेâसबुक मे करोड़ो लोगो के प्रोफाईलस है तथा आधे ज्यादा पेâक है,अब एैसे में यदि कोई अपना बखान करता भी है तो वैâसे माना जाय कि वो सही है या नही।
खैर में अपने अन्य सभी मित्रों से अपेक्षा करता हूं कि वे मेरे विचारों का सम्मान करेंगें,जिसमें सभी के लिए आदर है,मैं आपकी प्रतिष्ठा को नमन करता हूूं।
अंत में आपको बता दूं मैं जिनकी बात कर रहा हूं वे मेरी महिला मित्र है।

Wednesday, June 18, 2014

व्यापम घोटाला : एसटीएफ का फटा टायर
व्यापम घोटाला मध्यप्रदेश के बड़े घोटालों में से एक है,इसमे प्रदेश के मुखिया से जुड़े कुछ लोगो के नाम सामने आए और कुछ की गिरफ्तारी भी हुई। लेकिन लंबे अर्से से चल रहे इस घोटाले की जांच कहां जाकर रूकेगी,अभी कहा नही जा सकता। १८ जून २०१४ को एसटीएफ की टीम ने मालवा निमाड़ के कई जिलों में छापा मारकर पीएमटी घोटालें के पांच दर्जन से अधिक छात्रो तथा उनके परिजनों को पकड़ा। एसटीएफ की टीम इनको भोपाल मुख्यालय ले जा रही थी कि आरोपियों को ले जा रहे वाहन का टायर फट गया तथा वाहन पलट गया,जिसमें कुछ छात्रों को मामूली चोट,एक को गंभीर चोट आई,जिन्हे तत्काल चिकित्सा उपलब्ध करवाई गई।
दुसरी तरफ पुर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा भी एसटीएफ की हिरासत में है और पिछले चार दिन से उनसे पुछताछ नही हो पाई है। एसटीएफ की जांच की धीमी गति से लगता है कि कुछ बडी मछलियों को बचाने की कोशिश की जा रही है जो इस घोटाले में शामिल है,अतः जैसे एसटीएफ के वाहन का टायर फटा कही,वैसे ही इस घोटाले की जांच का टायर भी ना फट जायें,और अन्य घोटालों की जांच की तरह इसमें भी बरसों लग जायेंगे ओर आरोपियों को सजा नही मिल पाएगी।
मोहन बैरागी
१९/०६/२०१४