मेरे एक और नये श्रृंगार गीत की कुछ पंक्तियां...
आप जांचिये और अपनी प्रतिक्रिया भी दिजिये
लाईक के साथ कुछ लिखेगें भी तो अच्छा लगेगा
आप जांचिये और अपनी प्रतिक्रिया भी दिजिये
लाईक के साथ कुछ लिखेगें भी तो अच्छा लगेगा
पास आओ हमारी सुनो तो सही
दर्द का तुम पता पुछते क्यु नहीं
दर्द का तुम पता पुछते क्यु नहीं
01.
जब हदय की शिराएं करे वेदना
अश्रु आकाश भर जब धरा पर बहे
जब हिमालय भी पीड़ा को सह न सके
मन निराश्रित सा होकर कहे बस यही
पास आओ हमारी सुनो.....
@Copyrite
डॉ.मोहन बैरागी
जब हदय की शिराएं करे वेदना
अश्रु आकाश भर जब धरा पर बहे
जब हिमालय भी पीड़ा को सह न सके
मन निराश्रित सा होकर कहे बस यही
पास आओ हमारी सुनो.....
@Copyrite
डॉ.मोहन बैरागी