नैनो की देहरी पर आंसू की अठखेलियां
झुर्रिया सारी चेहरे की,आँखों की पहेलियां
झुर्रिया सारी चेहरे की,आँखों की पहेलियां
शुष्क पत्तो सा आसमां,दरख्तों से घिरा
फिर कौन उमड़ घुमड़ कर रहा सरफ़ीरा
बून्द बून्द हे प्यासी,बादलो में भी उदासी
होठो पर बरस दर बरस असाढ़ सा जीवन
जाने मैंने किसको क्या दिया,क्या ले लिया
झुर्रिया सारी चेहरे.......
@डॉ मोहन बैरागी
फिर कौन उमड़ घुमड़ कर रहा सरफ़ीरा
बून्द बून्द हे प्यासी,बादलो में भी उदासी
होठो पर बरस दर बरस असाढ़ सा जीवन
जाने मैंने किसको क्या दिया,क्या ले लिया
झुर्रिया सारी चेहरे.......
@डॉ मोहन बैरागी