‘शिव’और ‘शिवराज’- ‘खास’ के कारण पिटते ‘आम’
कल श्रावण का पहला सोमवार था। भगवान महाकालेश्वर को जल चढ़ाने के लिए कावड़ यात्री दुर दुर से उज्जैन आए थें। और यहां पुलिस की मारपीट का शिकार हो गये। बाहर से आए कावड़ यात्रियों को नहीं पता था कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान सपत्निक महाकालेश्वर के दर्शन के लिए आने वाले है। वे तो सामान्य सहज हमेशा की तरह अपने देवता भगवान शिव की पुजा अर्चना करने तथा श्रावण के विशेष महत्व तथा पहले सोमवार को शिवलिंग को जल चढ़ाने आए थे।
लेकिन उज्जैन पुलिस ने इन कावड़ यात्रियों की पिटाई कर दी। पुलिस को ‘शिव’ (शिवराज सिंह चौहान) के लिए व्यवस्थाएं बनाना थी,जबकि पुलिस की डुयटी सब के लिए ‘शिव’(भगवान महाकालेश्वर) के दर्शनों की व्यवस्था करना भी थी। लेकिन पुलिस ने शिव भक्तोें को महाकाल गर्भग्रह के पास रेंप तथा नंदी हॉल से कावड़यात्रियों को बाहर करना शुरू किया,जब सहज ही कावड़ यात्रियों ने इसका विरोध किया तो पुलिस बर्बरता से उन पर टुट पड़ी और उनकी पिटाई कर दी,इतनी की एक कावड़ यात्री को अस्पताल में भर्ती तक करवाना पड़ा।
सवाल ये खड़ा होता है कि इस सब का जिम्मेदार कौन है,वे पुलिस वाले,जिन्होनें कावड़ यात्रियों की पिटाई कर दी,या फिर खुद कावड़ यात्री जिनको ये पता था कि वे कितने भी महाकालेश्वर के भक्त हो जाये,आखिर वे हैं सामान्य नागरिक ही,और इस नाते उनका अधिकार बाद में आता है? या फिर खुद ‘शिव’ (शिवराज सिंह चौहान) जिनको पता था कि श्रावण के पहले सोमवार में बाहर से आए कावड़ यात्रियों की संख्या अधिक है तो व्यवस्थाएं ना बिगडे,इसके आदेश पुर्व से दिये जा सकते थे। जो भी हो ‘आम’ फिर ‘आम’ ही रह गया और ‘खास’ ‘खास’ ही होता है ये भी सिद्ध हो गया। इसलिए अगली बार कोई भी ‘आम’ एैसे किसी भी स्थान पर जाएं तो पहले ये देख ले कि वहां कोई ‘खास’ तो नही आने वाला,अन्यथा फिर से पुलिस की मार खानी पड़ सकती है?
कल श्रावण का पहला सोमवार था। भगवान महाकालेश्वर को जल चढ़ाने के लिए कावड़ यात्री दुर दुर से उज्जैन आए थें। और यहां पुलिस की मारपीट का शिकार हो गये। बाहर से आए कावड़ यात्रियों को नहीं पता था कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान सपत्निक महाकालेश्वर के दर्शन के लिए आने वाले है। वे तो सामान्य सहज हमेशा की तरह अपने देवता भगवान शिव की पुजा अर्चना करने तथा श्रावण के विशेष महत्व तथा पहले सोमवार को शिवलिंग को जल चढ़ाने आए थे।
लेकिन उज्जैन पुलिस ने इन कावड़ यात्रियों की पिटाई कर दी। पुलिस को ‘शिव’ (शिवराज सिंह चौहान) के लिए व्यवस्थाएं बनाना थी,जबकि पुलिस की डुयटी सब के लिए ‘शिव’(भगवान महाकालेश्वर) के दर्शनों की व्यवस्था करना भी थी। लेकिन पुलिस ने शिव भक्तोें को महाकाल गर्भग्रह के पास रेंप तथा नंदी हॉल से कावड़यात्रियों को बाहर करना शुरू किया,जब सहज ही कावड़ यात्रियों ने इसका विरोध किया तो पुलिस बर्बरता से उन पर टुट पड़ी और उनकी पिटाई कर दी,इतनी की एक कावड़ यात्री को अस्पताल में भर्ती तक करवाना पड़ा।
सवाल ये खड़ा होता है कि इस सब का जिम्मेदार कौन है,वे पुलिस वाले,जिन्होनें कावड़ यात्रियों की पिटाई कर दी,या फिर खुद कावड़ यात्री जिनको ये पता था कि वे कितने भी महाकालेश्वर के भक्त हो जाये,आखिर वे हैं सामान्य नागरिक ही,और इस नाते उनका अधिकार बाद में आता है? या फिर खुद ‘शिव’ (शिवराज सिंह चौहान) जिनको पता था कि श्रावण के पहले सोमवार में बाहर से आए कावड़ यात्रियों की संख्या अधिक है तो व्यवस्थाएं ना बिगडे,इसके आदेश पुर्व से दिये जा सकते थे। जो भी हो ‘आम’ फिर ‘आम’ ही रह गया और ‘खास’ ‘खास’ ही होता है ये भी सिद्ध हो गया। इसलिए अगली बार कोई भी ‘आम’ एैसे किसी भी स्थान पर जाएं तो पहले ये देख ले कि वहां कोई ‘खास’ तो नही आने वाला,अन्यथा फिर से पुलिस की मार खानी पड़ सकती है?
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