Dr.Mohan Bairagi

Monday, September 12, 2016

मेरे एक गीत की कुछ और पंक्तिया आपके लिए....
तुम भाव प्रणय की प्रथम परीक्षा
हमारे मन को सता रही हो,
वो सांसे उथली,वो सांसे गहरी
पथिक खडा जो हमारी देहरी
हदय समर्पण किया हदय से
नदी जो आ के नदी में ठहरी
गरजती बिजली,बसरते बादल
गगन में जैसे घटा रही हो
तुम भाव प्रणय की ......
डॉ. मोहन बैरागी

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