सुख दुख के हर रोज ही मंजर उथले गहरे बहते रहना
नाम तुम्हारा जीवन जैसे मुझको रोज ही लिखते रहना
तपती चौखट आंगन तपते
बिखरे बिखरे प्रांगण पत्ते
श्रम की बूंदे आंगन धोए
है प्रयास में सुख को बोए
बांध के कपड़ा तुलसीदल पर कैसे रोके उनका बहना
उम्मीदों संग बादल बरसे करते कोशिश दिखते रहना
नाम तुम्हारा जीवन जैसे.....
भीतर चूल्हे भूख मिटाते
रोटी मेहनत से ही खाते
निशां रोटियों पर जो है
बयां हमारे कर जाते
बाजारी इस दौर में देखो ना रुकना ना थकते रहना
रूखी सुखी चाहे खा लो पर तुम ना बिकते रहना
नाम तुम्हारा जीवन जैसे....
एक किनारे ढलकर सांझ
एक किनारे सुबह निकले
सृष्टि के नियम पहचाने
पड़ाव पर कैसे टिक ले
परिवर्तन होते हर पल सब परिवर्तन सृष्टि का गहना
संघर्षों को ही जीवन मानो इससे तुम ना डिगते रहना
नाम तुम्हारा जीवन जैसे.....
© डॉ. मोहन बैरागी, 27/4/18
नाम तुम्हारा जीवन जैसे मुझको रोज ही लिखते रहना
तपती चौखट आंगन तपते
बिखरे बिखरे प्रांगण पत्ते
श्रम की बूंदे आंगन धोए
है प्रयास में सुख को बोए
बांध के कपड़ा तुलसीदल पर कैसे रोके उनका बहना
उम्मीदों संग बादल बरसे करते कोशिश दिखते रहना
नाम तुम्हारा जीवन जैसे.....
भीतर चूल्हे भूख मिटाते
रोटी मेहनत से ही खाते
निशां रोटियों पर जो है
बयां हमारे कर जाते
बाजारी इस दौर में देखो ना रुकना ना थकते रहना
रूखी सुखी चाहे खा लो पर तुम ना बिकते रहना
नाम तुम्हारा जीवन जैसे....
एक किनारे ढलकर सांझ
एक किनारे सुबह निकले
सृष्टि के नियम पहचाने
पड़ाव पर कैसे टिक ले
परिवर्तन होते हर पल सब परिवर्तन सृष्टि का गहना
संघर्षों को ही जीवन मानो इससे तुम ना डिगते रहना
नाम तुम्हारा जीवन जैसे.....
© डॉ. मोहन बैरागी, 27/4/18
No comments:
Post a Comment