Dr.Mohan Bairagi

Sunday, October 23, 2016

मखमली एहसास तुम्हारे मुझको बांधे यार
दर्पण में मैं खुद को देखु,जाने कितनी बार
01.गंध का मुधबन में फेरा,भ्रमर का कलियों पे डेरा
पंछी कोई आकाश में,बादल जो भटके प्यास में
जुगनू से बाते करता,अब में सारी रातों में
अंधियारों में देख उजाले,हंस दू,
कभी में गा लूं,कोई गीत मल्हार
मखमली एहसास तुम्हारे.....

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