Dr.Mohan Bairagi

Tuesday, April 19, 2022

सफलतम असफल प्रेम

 




सफलतम असफल प्रेम
लेखक :- डॉ. मोहन बैरागी 

                   जॉर्ज बर्नाड शॉ ने कहा हैं, की दुनिया मे दो ही तरह के दुख हैं- एक तुम जो चाहो वह न मिले और दूसरा तुम जो चाहो वह मिल जाएं। जॉर्ज का मानना है कि दूसरा दुख पहले से बड़ा है..? 
मनुष्य में युग्म भावना सृष्टि के प्रारंभ से ही रही है। सांख्य दर्शन के अनुसार संसार प्रकृति व पुरुष की आबद्धता का ही खेल है। उपनिषदों के अनुसार प्रारंभ में ब्रम्हा जी अकेले ही थे,उनकी इच्छा हुई - "एको अहम बहुस्यायम प्राज्येय"। इसके बाद उन्होंने मानव सृष्टि को प्रारंभ किया, इसी के साथ हर्ष-विषाद तथा प्रेम का प्रस्फुटन भी हुआ तथा प्रेम मनुष्य की स्वाभाविक प्रकृति बन गया। सृष्टि के आदि पुरुषों में भी प्रेम के दर्शन होते है। ऋग्वेद में उर्वशी व पुरूखा की प्रेम कथा, महाभारत में अर्जुन सुभद्रा एवं दुष्यंत शकुंतला के अनेकों प्रेमाख्यान मिलते है। हिंदी साहित्य में भक्तिकाल में सूफी काव्यधारा के कवियों ने प्रेम तत्व को आधार बनाकर अनेकों काव्य रचना की। आधुनिककाल अथवा आजकल तो हरकोई युग्मदृश्य संजोकर प्रणय के स्वर्णिम लोक में विचरण करता है। अनेकों साहित्यकारों ने अलग अलग तरह से सफल तथा असफल प्रेमाख्यानों को लिखा है। यदि हम अन्यान्य कथाओं को पढ़ते है तो पाते है कि सर्वव्यापी और सर्वविदित कथानक लैला मजनू के किस्से में मजनू अंततः भ्रम में ही रहा कि उसे लैला मिल।गयी...? आत्मिक शांतिबोध और चेतन्यता के चर्मोत्कर्ष पर मजनू सफलतम असफल प्रेम के महान नायक कहे जा सकते हैं। ओशो के अनुसार वस्तुतः जो प्रेम सफल हो गए, उनके प्रेम भी असफल हो जाते हैं। संसार मे कोई भी चीज सफल हो ही नहीं सकती। बाहर की सभी यात्राएं असफल होने को आबद्ध हैं। क्योंकि जिसको तुम बाहर तलाश रहे हों, वह तो भीतर हैं। और तुम बाहर देखते हो, जब बाहर उसके पास पहुँचतें हो, तो वह खो जाता है मृग मरीचिका सा, जो केवल दूर से दिखाई पड़ता है। इस भ्रांति की और मनुष्य दौड़ता है, हर पल-हर घड़ी। यह सघन प्यास जो भ्रम पैदा करती है, उसके होने का बाहर, जो भीतर मौजूद है। तलाश में दौड़ खत्म न होती तब तक, जब तक कि वह समग्ररूपेण हार न जाएं..? और भीतर लौटने की स्मृति का भान नही रहता।
मूलतः मनुष्य स्वयं से प्रेम करता है...? किंतु भीतर की तुलना में वह स्मृति के बाहरी और बनावटी आवरण से आकंठ आबद्ध होता है, पर-प्रेम को पाने की आश्वस्ति में।
वह ढूंढता है भौतिक,सांसारिक, शारीरिक,मानसिक,भौगोलिक,आत्मिक, शुद्ध प्रेम..? तलाशता है, हृदय की महीन संवेदन ग्रंथियों के एकात्म रूप से मेल खाते मनुष्य को...?
मिलता भी है....?
ऊपरी आवरण से आच्छादित भौतिक देह, तात्कालिक आकर्षण, क्षणभर की मिठास और स्पंदन कलुयगी स्वेदग्रंथियो का।
ओर.....जन्म लेता है अनावश्यक वैचारिक सामंजस्य बैठाने का सिलसिला....? जो अनवरत सूक्ष्म भावनाओं के अभाव में अचानक थाम देता है बहते निर्मल जलधार को। और एकत्रित होने लगता है अवांछित अवसाद...?
इतिहास में सफल व असफल प्रेम के हज़ारों उदाहरण मौजूद है, किंतु वर्तमान भौगोलिक परिस्थितियों व सामाजिक, मानसिक स्थितियों के चलते असफ़ल प्रेम ही परिलक्षित हैं।
मूल कारण मनुष्य स्वयं से प्रेम न करते हुए, अन्यत्र इसकी तलाश में है...? यदि स्वयं के लिए समर्पित प्रेम है, तभी बाहर उसको तलाशना कुछ हद तक मुमकिन है। जो मनुष्य स्वयं से प्रेम नहीं करता, वह अन्य किसी से प्रेम नहीं कर सकता।
हज़ारों एकनिष्ठ, निष्ठा और निश्छल रूपी असफल प्रेम के उदाहरण मौजूद है, इसलिए क्योकि उनमें मंजिल से सरोकार न होकर भौतिक और तात्कालिक प्रेम की उम्मीदें सदैव मुहाने पर रहीं। 
हिंदी साहित्य की लेखिका/कवियत्री अपराजिता द्विवेदी की कविता है कि-
"सबसे अधिक वो प्रेम असफल हुआ जो एकनिष्ठ रहा..
सबसे अधिक वो भावनाएं छली गयी, जो निष्ठापूर्ण रही..
सबसे अधिक वो आंखें रोई जो आस में रहीं..
सबसे अधिक वो उम्मीदे ढहीं जो निश्चल रही..
निष्कर्षतः छलयुक्त प्रेम से बेहतर त्याज्य होना है!
इतिहास में सफलतम असफल प्रेम के अनगिनत उदाहरण उपलब्ध हैं जो यत्र तत्र उधृत किये जाते हैं। जैसे-
16वीं सदी  में भागमती और मुहम्मद कुली हुए जिनके वजूद पर ही कई लोग प्रश्न उठाते हैं? किस्सा यह है कि सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह (1580-1612) पहली नज़र में भागमती को दिल दे बैठे थे, और सुल्तान ने उनके सम्मान में भागनगर नाम से एक शहर बसाया और यहीं भागनगर आज हैदराबाद के नाम से जाना जाता है। दूसरा किस्सा रानी रूपमती और बाज बहादुर (16वीं सदी) का हैं। मालवा के आखरी सुल्तान बाज बहादुर, रूपमती की खूबसूरती और गायकी पर फिदा थे, दोनों ने एक दूसरे से शादी की,इसी दौरान अकबर ने मालवा पर चढ़ाई कर दी, युद्ध मे बहादुर की हार हुई और रूपमती ने आत्महत्या कर ली, कुछ साल अकबर से युद्ध लड़ने के बाद बहादुर ने हार मानी और अकबर की सेना में शामिल हो गया।
एक अफ्रीकी गुलाम याकूत जिसे दिल्ली की पहली महिला शासक रजिया सुल्तान से मोहब्बत हुई, दोनों के प्यार के चलते विद्रोह हुआ और याकूत की मौत हुई. रजिया का निकाह जबरन मालिक अल्तुनिया से हुआ, उसके बाद अन्य विद्रोह में सुल्तान और अल्तुनिया दोनों की मौत हुई। 
यदि हम एक और प्रेम कहानी का ज़िक्र करें तो बाजीराव जो कभी जंग न हारने वाला योद्धा था और मस्तानी हिन्दू राजा और फ़ारसी मुस्लिम महिला की खूबसूरत बेटी थी, मां और बच्चों के विरोध के बावजूद बाजीराव ने मस्तानी को छोड़ने से इंकार दिया,लेकिन बाद में बाजीराव की मौत के बाद मस्तानी भी चल बसी।
सफलतम असफल प्रेम के आईने में हम देखें तो दिल्ली के राजा पृथ्वीराज और कन्नौज की रानी संयुक्ता की प्रेम कहानी भी बेहद दिलचस्प है, पृथ्वीराज और संयुक्ता एक दूसरे को बिना देखे ही प्यार करने लगे थे,पृथ्वीराज और संयुक्ता के पिता ने स्वयंवर से इनकार कर दिया। आखिरकार पृथ्वीराज ने संयुक्ता को भगाने का फैसला किया, इसके बाद अफगान आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी से युद्ध मे हारने के बाद चौहान की हत्या हो गयी और संयुक्ता ने  पकड़े जाने से पहले आत्महत्या कर ली।
सफलतम असफल प्रेम की दुनिया से बाहर आने के लिए स्वयं से प्रेम करना जरूरी है।
स्वयं से प्रेम करें, खुश रहें।
©डॉ. मोहन बैरागी

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