Dr.Mohan Bairagi

Tuesday, May 8, 2018

प्रेम से आगे निकल जाएंगे
एक दिन एक दिन एक दिन

भाव मीरा से जब धरा गोल में
आँख में बोल में देह भूगोल में
स्वर बांसुरी फिर सुने जाएंगे
एक दिन एक दिन एक दिन

पार संसार के सीढ़िया जा रही
प्रीत सदियों से पीढियां गा रही
प्रतिमान प्रेम के गढ़े जाएंगे
एक दिन एक दिन एक दिन

प्रेम शबरियां उर्मिला अहिल्या
प्रेम ही जो दिखे बन कौशल्या
कबीरा तुलसी लिख जाएंगे
एक दिन एक दिन एक दिन

ठहरा आँसू आँख की कोर पर
जैसे सूरज रखा किसी भोर पर
रोशनी से रहेंगे संवर जाएंगे
एक दिन एक दिन एक दिन

रच रही नियति है नई इक कथा
हो अमर जाएगी कथा यह तथा
किस्से कहानी में सब गाएंगे
एक दिन एक दिन एक दिन

चलो जिंदगी यह भरम सोचना
झूठ सच को पड़ा सदा भोगना
प्रीत भी पीर भी सब आएंगे
एक दिन एक दिन एक दिन
©डॉ.मोहन बैरागी,01/05/18

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