Dr.Mohan Bairagi

Monday, April 16, 2018

कौन हो ज़िन्दगी तुम साँसों के द्वारे
या रुकोगी अभी संग चलोगी हमारे

इक सतह जो गगन और धरा पर पड़ी है
इक फतह जो इरादो से मेरी आगे बढ़ी है
मानते दूरियां यह कोई लंबवत भी नही है
हौंसले मिल रहे है हौंसलो के सहारे
या रुकोगी अभी संग चलोगी हमारे

बह रही सारी नदियां जो समय के बराबर
गुज़री सदियां छलावे या छल को हराकर
पत्थरों से गवाही ये इतिहास बाँचे धरापर
लिखा सब यह प्राक्कथन में तुम्हारे
या रुकोगी अभी संग चलोगी हमारे

निभाये सभी कर्म तुमसे हमको मिले जो
जाने किसने मेरे मर्म आवरण में दबे जो
करते स्वागत तुम्हारा धर्म से हम बंधे जो
आओ जीवन यह हम संग में गुज़ारे
या रुकोगी अभी संग चलोगी हमारे

कौन हो ज़िन्दगी तुम साँसों के द्वारे
या रुकोगी अभी संग चलोगी हमारे
©डॉ. मोहन बैरागी
📞9424014366

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