सब एक जैसे धरा पर गगन में सितारें है
खुशबू,फूल,पवन,हवा,नदी किनारे हैं
और आईने टुटते नहीं खुद चटक कर के
वो जो दिल तोड़ते है वो अपने हमारे है
- मोहन बैरागी
खुशबू,फूल,पवन,हवा,नदी किनारे हैं
और आईने टुटते नहीं खुद चटक कर के
वो जो दिल तोड़ते है वो अपने हमारे है
- मोहन बैरागी
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