कमीशनखोरी के अडडे अस्पताल,बिगडती सेहत,मरीजों के बुरे हाल
ये जगह जहां दलाल सक्रिय
मरीजों की सेहत से खेलने वाले दलाल शहर में कई स्थानों पर सक्रिय है तथा ग्रामीण इलाकों से आये भ् ाोले भ् ााले लोगो को झांसा देकर निजी अस्पतालों मे ले जाते है जहां अच्छे इलाज के नाम पर हजारो लाखों रुपये लुट लिये जाते है। शहर में इस तरह के दलालों ने अपने स्थाई अडडे बना रखे है जहां ये देखकर समझ जाते है कि आदमी अस्पताल जाने वाला है। शहर के ये अडडे, रेलवे स्टेशन,देवास गेट बस स्टेण्ड,जिला चिकित्सालय,चामुण्डा माता चौराहा,बहादुर गंज,चरक के बाहर, माधव नगर अस्पताल,चेरीटेबल अस्पताल तथा आर डी गार्डी के बाहर आदि।
निजी अस्पतालों ने पैदा किये दलाल
निजी अस्पतालों ने व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा और अस्पताल चलाने के लिए शहर में मरीज लाने के लिए शहर के अंदर ही नहीं वरन आस पास के ग्रामीण इलाकों में भ् ाी दलाल पैदा कर दिये है। ये दलाल अपने कमीशन के चक्कर में भ् ाोले भ् ााले ग्रामिणों को बहलाकर इन अस्पतालों में ले आते है जहां ईलाज के नाम पर मरीज के परिजनों से हजारों लाखों रुपये ले लिये जाते है,जिसमें अस्पताल का शुल्क,डॉक्टर का शुल्क,दवाईयां आदि का खर्च ही होता है। इन निजी अस्पतालों ने मेडिकलस्टोर संचालकों से लेकर आस पास के गांवों में व छोटी कालोनियों में बैठे नकली डॉक्टरों को भ् ाी दलाल के रुप में इस्तेमाल किया जाता है।
अस्पताल में हर चीज का कमीशन
एक बार मरीज के परिजन यदि मरीज को अस्पताल में एडमिट कर देते है उसके बाद तो खर्चे को कोई पैमाना नही है। क्युंकि कैसा भ् ाी मरीज हो इन अस्पतालों में हर मरीज को इन्वेस्टीगेशन करवाना पडती है। बहुत सारी जांचे तो इन अस्पतालोंं में ही हो जाती है जिनमें नाम मात्र का खर्च आता है लेकिन मरीज के परिजनों से उसके जी हजारों रुपये वसुल लिये जाते है। जो जांचे इन अस्पतालों में नहीं हो पाती उन्हे ये अस्पताल अपने जान पहचान के पेथालाजी में भ् ोजते है जहां से तगड़ा कमीशन अस्पताल व डाक्टर को मिलता है। इस पर भ् ाी खास बात यह कि इन जांचों को करने वाले अप्रशिक्षीत टेक्निशियन होते है और पेथोलोजिस्ट के हस्ताक्षर से जांच रिपोर्ट जारी हो जाती है,जिसके सटीक होने पर संदेह होता है। अभ् ाी हाल ही में एक होटल व्यवसायी के पुत्र को एक जांच केन्द्र पर अपेडिक्स बताया गया तथा दुसरी जगह नार्मल बताया गया। हद तो तब है जब कमीशन के चक्कर में शहर में कई पैथालाजी सेंटर टेक्निशियनों द्वारा ही संचालित किये जा रहे है,और पेथालाजिस्ट डाक्टर को कमीशन देकर जांच पर साईन करवा लिये जाते है।
मेडिकल एक्ट की अनदेखी
सभ् ाी निजी नर्सिंंग होग शासन के मेडिकल प्रेक्टिशनर व नर्सिंग होम एक्ट के नियमों के विपरित चल रहे है। शासन के नियमानुसार कोई भ् ाी डॉक्टर व नर्सिंग होम विज्ञापन नही कर सकते है लेकिन इन डॉक्टरों व नर्सिंग होम के बड़े बड़े विज्ञापन अखबारों व शहर में होर्डिंगों पर नजर आते है। जाहिर हे ये सब स्वास्थ्य विभ् ााग के आला अधिकारियों की शै के बिना नहीं हो सकता।
नजी अस्पतालों ने छोड रखे है दलाल,मरीजों को लाने पर देते है मोटा कमीशनदवा से लेकर पैथालाजी की जांचे व डाक्टरों के कमीशन तय होते है
अक्षर वार्ता/डॉ.मोहन बैरागी/उज्जैन। नये शहर स्थित गुरुनानक अस्पताल में शनिवार को अस्पताल में बुलाकर चन्द्रावतीगंज निवासी गोपाल शर्मा की पीटपीट कर हत्या कर दी गई। मारपीट करने वाले अस्पताल के मेनेजर सहित आधा दर्जन आरोपियों पर माधवनगर थाना में प्राणघातक हमले सहित हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया है।जानकारी के अनुसार गोपाल को अस्पताल के कर्मचारियों ने लटठ व पाईप से इतना मारा की उसकी मौत हो गई। जानकारी के अनुसार अस्पताल में मरीजों को लाने की दलाली और चोरी के कारण गुरुनानक अस्पताल के कर्मियों ने गोपालको अस्पताल बुलाकर मारपीट कर हत्या कर दी।
अभ् ाी संभ् ााग के सबसे बड़े अस्पलात चरक सुर्खियों में था ही कि एक और अस्पताल ने दलाली के चक्कर मे एक आदमी की जान ले ली। और इस बार अस्पताल प्रबंधन ने इसे खुद अस्पाल में बुलाकर इतना पीटा की इसकी जान ही चली गयी। जहां मौत के मुंह से निकालकर जीवन देने की जगह हो वहीं बुलाकर मौत दे दी जाये तब क्या कहा जाय। शहर के हर अस्पताल ने अपने अपने दलाल बाजार में छोड़ रखे है जो मरीजो को कम खर्च में अच्छे इलाज का बहाना बनाकर इन अस्पतलों ले जाते है जिसके एवज में इन्हे तगड़ा कमीशन मिलता है। आगर रोड़ का सरकारी अस्पताल,चरक अस्पताल,माधव नगर का सरकारी अस्पताल एैसी जगह है जहां दलाल सक्रीय होकर घुमते रहते है तथा बाहर से आने वाले मरीज के परिजनो से दोस्ती कर निजी नर्सिंग होग में अच्छे इलाज करवाने का भ् ारोसा देकर यहां से ले जाते है। दलाली का यह धंधा इस कदर पनप रहा है कि सभ् ाी बड़े निजी नर्सिंग होम ने मरीजो को लाने पर कमीशन तय कर रखे है। बाद में इन बीमारों से मंहगी जांचे,दवांईयों के नाम पर हजारो-लाखों रुपये ले लिये जाते है। सुत्रों की माने तो शहर में करीब २०० से ज्यादा दलाल सक्रीय है जिनमें सरकारी और निजी अस्पतालों के कर्मचारी सहित,छोटी कालोनियों में प्रेक्टिस करने वाले नकली डॉक्टर भ् ाी शामिल है। सेहत के दलाल,बड़े बड़े अस्पताल इन दिनों खुब चांदी काट रहे है। मरीजों की जान से जाय तो जाये इन्हे अपनी तिजोरी भ् ारने से मतलब होता है।ये जगह जहां दलाल सक्रिय
मरीजों की सेहत से खेलने वाले दलाल शहर में कई स्थानों पर सक्रिय है तथा ग्रामीण इलाकों से आये भ् ाोले भ् ााले लोगो को झांसा देकर निजी अस्पतालों मे ले जाते है जहां अच्छे इलाज के नाम पर हजारो लाखों रुपये लुट लिये जाते है। शहर में इस तरह के दलालों ने अपने स्थाई अडडे बना रखे है जहां ये देखकर समझ जाते है कि आदमी अस्पताल जाने वाला है। शहर के ये अडडे, रेलवे स्टेशन,देवास गेट बस स्टेण्ड,जिला चिकित्सालय,चामुण्डा माता चौराहा,बहादुर गंज,चरक के बाहर, माधव नगर अस्पताल,चेरीटेबल अस्पताल तथा आर डी गार्डी के बाहर आदि।
निजी अस्पतालों ने पैदा किये दलाल
निजी अस्पतालों ने व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा और अस्पताल चलाने के लिए शहर में मरीज लाने के लिए शहर के अंदर ही नहीं वरन आस पास के ग्रामीण इलाकों में भ् ाी दलाल पैदा कर दिये है। ये दलाल अपने कमीशन के चक्कर में भ् ाोले भ् ााले ग्रामिणों को बहलाकर इन अस्पतालों में ले आते है जहां ईलाज के नाम पर मरीज के परिजनों से हजारों लाखों रुपये ले लिये जाते है,जिसमें अस्पताल का शुल्क,डॉक्टर का शुल्क,दवाईयां आदि का खर्च ही होता है। इन निजी अस्पतालों ने मेडिकलस्टोर संचालकों से लेकर आस पास के गांवों में व छोटी कालोनियों में बैठे नकली डॉक्टरों को भ् ाी दलाल के रुप में इस्तेमाल किया जाता है।
अस्पताल में हर चीज का कमीशन
एक बार मरीज के परिजन यदि मरीज को अस्पताल में एडमिट कर देते है उसके बाद तो खर्चे को कोई पैमाना नही है। क्युंकि कैसा भ् ाी मरीज हो इन अस्पतालों में हर मरीज को इन्वेस्टीगेशन करवाना पडती है। बहुत सारी जांचे तो इन अस्पतालोंं में ही हो जाती है जिनमें नाम मात्र का खर्च आता है लेकिन मरीज के परिजनों से उसके जी हजारों रुपये वसुल लिये जाते है। जो जांचे इन अस्पतालों में नहीं हो पाती उन्हे ये अस्पताल अपने जान पहचान के पेथालाजी में भ् ोजते है जहां से तगड़ा कमीशन अस्पताल व डाक्टर को मिलता है। इस पर भ् ाी खास बात यह कि इन जांचों को करने वाले अप्रशिक्षीत टेक्निशियन होते है और पेथोलोजिस्ट के हस्ताक्षर से जांच रिपोर्ट जारी हो जाती है,जिसके सटीक होने पर संदेह होता है। अभ् ाी हाल ही में एक होटल व्यवसायी के पुत्र को एक जांच केन्द्र पर अपेडिक्स बताया गया तथा दुसरी जगह नार्मल बताया गया। हद तो तब है जब कमीशन के चक्कर में शहर में कई पैथालाजी सेंटर टेक्निशियनों द्वारा ही संचालित किये जा रहे है,और पेथालाजिस्ट डाक्टर को कमीशन देकर जांच पर साईन करवा लिये जाते है।
मेडिकल एक्ट की अनदेखी
सभ् ाी निजी नर्सिंंग होग शासन के मेडिकल प्रेक्टिशनर व नर्सिंग होम एक्ट के नियमों के विपरित चल रहे है। शासन के नियमानुसार कोई भ् ाी डॉक्टर व नर्सिंग होम विज्ञापन नही कर सकते है लेकिन इन डॉक्टरों व नर्सिंग होम के बड़े बड़े विज्ञापन अखबारों व शहर में होर्डिंगों पर नजर आते है। जाहिर हे ये सब स्वास्थ्य विभ् ााग के आला अधिकारियों की शै के बिना नहीं हो सकता।
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